Nirmala Sitharaman Exclusive Interview: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने निजीकरण (Privatization) के बारे में अहम बयान दिया है। उन्होंने 3 फरवरी (शुक्रवार) को कहा कि सरकार प्राइवेटाइजेशन (Privatization) को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार डिसइनवेस्टमेंट (Disinvestment) और एसेट मॉनेटाजेशन प्रोग्राम को आगे बढ़ाएगी। वित्तमंत्री ने नेटवर्क18 ग्रुप के एडिटर राहुल जोशी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ये बातें कहीं। यूनियन बजट 2023 पेश होने के बाद यह किसी प्राइवेट चैनल को वित्तमंत्री का पहला इंटरव्यू था। यह पूछने पर कि इस बजट में डिसइनवेस्टमेंट और एसेट मॉनेटाइजेशन का जिक्र क्यों नहीं हुआ, वित्तमंत्री ने कहा कि डिसइनवेस्टमेंट और एसेट मॉनेटाइजेशन अब भी बजट के हिस्सा हैं। हो सकता है कि मेरे बजट भाषण में इन्हें जगह नहीं मिली। उन्होंने कहा कि हमें यह देखना है कि सरकारी संपत्ति बेचने का सही समय क्या होगा।
बजट भाषण में डिसइनवेस्टमेंट का जिक्र नहीं
यूनियन बजट 2023 में एक बड़ा फर्क यह देखने को मिला कि बजट भाषण में अलग से इस बात का जिक्र नहीं था कि सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में बेचकर या डिसइनवेस्टमेंट के जरिए सरकार ने कितनी रकम जुटाने का प्लान बनाया है। वित्तमंत्री ने यह भी नहीं बताया कि सरकार ने पूरे हो चुके इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के मॉनेटाइजेशन से भविष्य की परियोजनाओं और नेशनल मॉनेटाइजेशन के लिए कितना फंड जुटाएगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों के निजीकरण के लिए कानून में संशोधन करने होंगे।
पूरा नहीं होगा विनिवेश का लक्ष्य
फाइनेंस मिनिस्ट्री की तरफ से जारी बजट डॉक्युमेंट्स से पता चलता है कि फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में सरकार डिसइनवेस्टमेंट से 51,000 करोड़ रुपये जुटाएगी। पिछले बजट में सरकार ने डिसइनवेस्टमेंट से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन, संशोधित अनुमान 50,000 करोड़ रुपये है। पहले से डिसइनवेस्टमेंट का टारगेट पूरा नहीं होने की उम्मीद थी। इसकी वजह यह है कि मार्केट की स्थितियां 2022 में अच्छी नहीं थीं। साथ ही सरकार की कोशिश में भी सुस्ती देखने को मिली।
NMP से इंफ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ा है फोकस
फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) का टारगेट 1.6 लाख करोड़ रुपये है। प्रधानमंत्री ने NMP को मॉनेटाइज और मॉडर्नाइज के लिए अहम बताया है। इस प्लान का मकसद ऐसे प्रोजेक्ट्स में प्राइवेट सेक्टर का इनवेस्टमेंट अट्रैक्ट करना है, जिसके पूरे होने को लेकर जोखिम नहीं रह जाता है। इस रास्ते से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल फिर से इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरे प्रमुख प्रोजेक्ट्स में होगा।