Union Budget 2023: इस फाइनेंशिय ईयर (2022-23) में फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) का टारगेट हासिल हो जाएगा। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने यह उम्मीद जताई है। लोकसभा में बुधवार (14 दिसंबर) को ग्रांट्स की सप्लमेंटरी डिमांड पर चर्चा के दौरान उन्होंने यह भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से स्पष्ट संकेत मिलता है कि हमने बजट में जो टारगेट (फिस्कल डेफिसिट का) तय किया है, वह हासिल हो जाएगा। सरकार ने इस फाइनेंशियल ईयर में फिस्कल डेफिसिट के लिए 6.4 फीसदी का टारगेट तय किया है। इसका मतलब है कि इस फाइनेंशियल ईयर में सरकार का राजकोषीय घाटा GDP के 6.4 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा। वित्त मंत्री ने पिछले बजट में इस टारगेट का ऐलान किया था।
रेवेन्यू कलेक्शन में अच्छी ग्रोथ का मिला लाभ
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस फिस्कल ईयर में फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 6.4 फीसदी रहेगा, जो फिस्कल कंसॉलिडेशन की सरकार की कोशिशों के मुताबिक है। उन्होंने यह भी कहा कि रेवेन्यू में अच्छी वृद्धि से सरकार के लिए स्थिति आसान हुई है। दरअसल, पिछले कई महीनों से जीएसटी कलेक्शन में अच्छी ग्रोथ दिख रही है। इससे सरकार की वित्तीय सेहत को लेकर दबाव कुछ कम हुआ है।
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इनफ्लेशन RBI के टारगेट के अंदर आया
फाइनेंस मिनिस्टर ने नवंबर के इनफ्लेशन के डेटा का हवाला देते हुए कहा कि रिटेल इनफ्लेशन फिर से RBI की तय सीमा के अंदर आ गया है, जबकि होलसेल इनफ्लेशन 21 महीने के लो लेवल पर आ गया है। दरअसल, पिछले दो महीनों में रिटेल इनफ्लेशन में लगातार गिरावट देखने को मिली है। यह सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के लिए काफी राहत की बात है।
पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर बजट में रहेगा फोकस
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट पेश करेंगी। यह बजट फाइनेंशियल 2023-24 के लिए होगा। उम्मीद है कि सरकार इस बजट में पूंजीगत खर्च बढ़ाने के उपाय करेगी। इस फाइनेंशियल ईयर के बजट में सरकार ने पूंजीगत खर्च के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया था। यह बजट अनुमान से 35 फीसदी ज्यादा है, जबकि 2021-22 के संशोधित अनुमान से 24 फीसदी ज्यादा है। वित्त मंत्री ने बताया कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में पूंजीगत खर्च के लक्ष्य का करीब 55 फीसदी हासिल हो चुका है।
इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ दुनिया में सबसे ज्यादा
इंडिया इस साल G20 देशों में सबसे ज्यादा ग्रोथ वाली इकोनॉमी है। लेकिन, आगे इस ग्लोबल इकोनॉमी पर मंडरा रहे मंदी के खतरे और मॉनेटरी कंडिशंस में आए बदलाव की वजह से दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, उम्मीद है कि RBI अगले साल की शुरुआत में इंटरेस्ट रेट बढ़ाना बंद कर सकता है। वह इस साल मई से ही इंटरेस्ट रेट लगातार बढ़ाता रहा है। इसकी वजह तेजी से बढ़ता इनफ्लेशन है।