Budget 2023 : इस साल बजट के बाद कई चीजों की कीमतें बढ़ने जा रही हैं। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट 2023 पेश करेंगी। इसमें वह चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान कर सकती हैं। इसकी दो वजहें बताई जा रही हैं। पहला, सरकार कई चीजों के आयात पर अपनी निर्भरता खत्म करना चाहता है। वह इन चीजों का उत्पादन देश में ही करना चाहती है। दूसरा, सरकार करेंट अकाउंट डेफिसिट में कमी लाना चाहती है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने 35 आइटम्स की लिस्ट तैयार की है, जिस पर सीमा शुल्क (Custom Duty) बढ़ाने का ऐलान बजट में हो सकता है। इनमें प्राइवेट जेट, हेलीकॉप्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स और ज्वैलरी शामिल हैं। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को यूनियन बजट संसद में पेश करेंगी।
करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) को बढ़ने से रोकने के लिए उन चीजों का आयात घटाया जा सकता है, जिनके बगैर हमारा काम चल सकता है। बढ़ते CAD को लेकर सरकार चिंतित है। इस फाइनेंशियर ईयर में ट्रेड डेफिसिट भी काफी बढ़ा है। यह CAD का हिस्सा है। इस फाइनेंशियल ईयर की सितंबर तिमाही में CAD बढ़कर जीडीपी के 4.4 फीसदी तक पहुंच गया। यह जून तिमाही में जीडीपी का 2.2 फीसदी था। अभी सीएडी 9 साल के उच्चतम स्तर पर है।
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इकोनॉमिक ग्रोथ घटने का असर एक्सपोर्ट पर पड़ सकता है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले फाइनेंशियल ईयर में एक्सपोर्ट की ग्रोथ कम रह सकती है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका, यूरोप और इंग्लैंड जैसी बड़ी इकोनॉमी पर सुस्ती का खतरा मंडरा रहा है। इसका असर इंडिया के एक्सपोर्ट पर पड़ सकता है। एक्सपोर्ट घटने और आयात बढ़ने से करेंट अकाउंट डेफिसिट और बढ़ सकता है। इसलिए सरकार उन चीजों के आयात शुल्क को बढ़ाने के बारे में सोच रही है, जो बहुत जरूरी नहीं हैं।
अपनी वित्तीय सेहत ठीक करना चाहती है सरकार
हालांकि, सरकार सोने पर आयात शुल्क घटा सकती है। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने फाइनेंस मिनिस्ट्री से गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी घटाने की गुजारिश की है। पिछले साल जुलाई में सरकार ने सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी। बढ़ते CAD को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया था। सरकार का फोकस यूनियन बजट 2023 में फिस्कल कंसॉलिडेशन पर रहेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार करेंट अकाउंट डेफिसिट सहित दूसरे डेफिसिट को घटाना चाहती है। सरकार फाइनेंशियल ईयर 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाना चाहती है।