Union Budget 2023: अगले महीने 1 फरवरी को पेश होने वाले यूनियन बजट (Union Budget) के क्रांतिकारी होने की उम्मीद नहीं है। लेकिन, सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ज्यादा आवंटन कर सकती है। सब्सिडी पर उसका खर्च कम रहने की उम्मीद है। खासकर फूड सब्सिडी पर उसका खर्च घटने की उम्मीद है, जिसकी कुल सब्सिडी खर्च में 60-70 फीसदी हिस्सेदारी है। यह कहना है रामदेव अग्रवाल (Ramdeo Agarwal) का। अग्रवाल मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की नजरें 7-8 फीसदी इकोनॉमिक ग्रोथ पर बनी हुई हैं। लेकिन, डायरेक्ट टैक्सेज में बड़े बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट पेश करेंगी। अग्रवाल ने बजट को लेकर मनीकंट्रोल से बातचीत में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) में भी बदलाव की उम्मीद नहीं है, क्योंकि टैक्स रेट में स्थिरता को निवेश के लिए अच्छा माना जाता है।
बजट में बड़े ऐलान की उम्मीद नहीं
अग्रवाल ने कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ बंधे हुए हैं। इसलिए बजट प्रस्तावों के बारे में कुछ कहना मुश्किल है। इनडायरेक्ट टैक्सेज का मामला GST से जुड़ा है। वितमंत्री डायरेक्ट टैक्सेज में कुछ बदलाव कर सकती हैं। बजट में इससे जुड़े कुछ प्रस्ताव दिख सकते हैं। जहां तक जीएसटी की बात है तो उसमें पूरे साल बदलाव होता रहता है। इसलिए मेरा मानना है कि अगले यूनियन बजट में हमें बहुत बड़े ऐलान देखने को नहीं मिलेंगे।
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उन्होंने कहा कि जहां तक डायरेक्ट टैक्सेज की बात है तो कुछ प्रस्ताव पेश हो सकते हैं। लेकिन, उनका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि सब इकोनॉमी में स्थिरता चाहते हैं। सब इकोनॉमी में ग्रोथ देखना चाहते हैं। इसलिए सरकार ग्रोथ बढ़ाने के लिए क्या उपाय करती है, यह आने वाले समय में ही पता चलेगा। लेकिन, जहां तक मेरी बात है तो मुझे बजट में किसी तरह के बड़े ऐलान की उम्मीद नहीं दिखती।
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटन बढ़ने की उम्मीद
अग्रवाल ने कहा कि सरकार 7-8 फीसदी इकोनॉमिक ग्रोथ चाहती है। ऐसे में वह इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटन बढ़ा सकती है। इसकी वजह यह है कि कोरोना से जुड़े दबाव कम होने से सब्सिडी घटने की उम्मीद है। इसलिए फूड सब्सिडी में कम से कम 60-70 फीसदी कमी की जा सकती है। इस पैसे को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया जा सकता है।
LTCG नियमों में बदलाव की उम्मीद नहीं
LTCG में बदलाव के बारे में पूछने पर अग्रवाल ने कहा कि मुझे नहीं पता कि सरकार क्या करेगी। लेकिन, मेरा मानना है कि सरकार को इस बारे में कुछ नहीं करना चाहिए। मैं शेयरों के बारे में इतना ही बता सकता हूं। इसकी वजह यह है कि लोगों ने रेट में उतार-चढ़ाव... लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म-- के आधार पर खरीदारी/बिकवाली की है। अब अगर आप रेट्स या अवधि (होल्डिंग पीरियड) में बदलाव करते हैं तो इससे निवेश का माहौल खराब होगा।
यह पूछने पर कि क्या टैक्स रीजीम में बदलाव के लिए बजट 2023 एक मौका है, अग्रवाल ने कहा कि सरकार सप्लाई इकोनॉमिक्स पर ध्यान दे रही है। सरकार सभी तरह की बाधाएं दूर करने की कोशिश कर रही है ताकि सप्लाई में कमी इनफ्लेशन की वजह नहीं बने। मेरा मानना है कि यह एक तरह से ठीक है। लेकिन, इकोनॉमी में ऐसे कुछ सेगमेंट्स हैं, जिन पर कोरोना की महामारी, घटती इनकम और इनफ्लेशन की बहुत ज्यादा मार पड़ी है।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को राहत दे सकती है सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार को कुछ खास सेक्शन के लोगों को उन चीजों के मामले में टैक्स के रूप में कुछ राहत देनी चाहिए, जिसका वे इस्तेमाल करते हैं। व्यापक इस्तेमाल वाली चीजों या सस्ती चीजों पर इनडायरेक्ट टैक्स के रूप में राहत दी जा सकती है। 18 फीसदी की जगह इन चीजों पर तीन या चार साल के लिए 10 फीसदी टैक्स लगाया जा सकता है। इस तरह के कदम से काफी असर पड़ेगा।