सरकार 1 फरवरी, 2024 को अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश करेगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 2024 में लोकसभा चुनावों से पहले अंतरिम बजट पेश करेंगी। आम चुनाव वाले साल में सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं करती है। सरकार अंतरिम बजट के जरिए अगले वित्त वर्ष के सिर्फ शुरुआती कुछ महीनों में अपने खर्च के प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करती है। इसलिए इसे अंतरिम बजट या वोट ऑन अकाउंट कहा जाता है। इससे पहले 2019 में 1 फरवरी को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था। उस साल भी लोकसभा चुनाव थे। चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा सरकार बनाने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई को वित्त वर्ष 2020-21 का पूर्ण बजट पेश किया था।
वोट ऑन अकाउंट की जरूरत क्यों पड़ती है?
वोट ऑन अकाउंट को हिंदी में लेखानुदान कहा जाता है। इसका प्रावधान संविधान के आर्टिकल 116 में शामिल है। इसके जरिए सरकार को अपने जरूरी खर्चों के लिए कंसॉलिडिटेड फंड के इस्तेमाल की इजाजत मिलती है। इसका मतलब है कि सरकार वोट ऑन अकाउंट के जरिए संसद में यह प्रस्ताव पेश करती है कि जब तक नई सरकार पूर्ण बजट पेश कर उसे संसद से पारित नहीं करा लेती मौजूदा सरकार अपने खर्च के लिए कंसॉलिडेटेड फंड का इस्तेमाल कर सकती है। आम तौर पर यह समय दो महीने का होता है। लेकिन चुनाव की प्रक्रिया को ध्यान में रख नए वित्त वर्ष के चार महीनों के खर्च के लिए संसद की मंजूरी हासिल करती है।
2019 में पीयूष गोयल ने पेश किया था अंतरिम बजट
वोट ऑन अकाउंट और पूर्ण बजट के बीच बड़ा फर्क यह है कि वोट ऑन अकाउंट में सिर्फ सरकार के खर्च का प्रस्ताव शामिल होता है। पूर्ण बजट में पूरे वित्त वर्ष में सरकार की आय, खर्च, टैक्स के नियमों में बदलाव, अलग-अलग मंत्रालयों के आवंटन सहित कई चीजें शामिल होती हैं। लेकिन, अब सरकार अंतरिम बजट में भी पूरे साल की आमदनी और खर्च का पूरा ब्योरा पेश करती है। 2019 के अंतरिम बजट में तो सरकार ने टैक्स के नियमों में बदलाव के साथ ही कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया था। तब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का ऐलान किया था। इसके अलावा उन्होंने इनकम टैक्स के नियमों में भी बड़ा बदलाव का प्रस्ताव पेश किया था। इसका मकसद टैक्सपेयर्स को राहत देना था।