उप-प्रधानमंत्री ने 1967 में यूनियन बजट (Union Budget) पेश किया था। यह बजट वित्त वर्ष 1967-68 के लिए था। इसे पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने पेश किया था। दरअसल, तब देसाई प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्री के साथ ही उप-प्रधानमंत्री भी थे। देसाई 1977 में देश के प्रधानमंत्री भी बने थे। वह दो साल 126 दिन ही इस पद पर रहे। 1979 में उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। देसाई के नाम सबसे ज्यादा बार यूनियन बजट पेश करने का भी रिकॉर्ड है। उन्होंने 8 बार पूर्ण बजट और 2 बार अंतरिम बजट पेश किया था। 1959-60 से लेकर 1963-64 तक हर साल उन्होंने यूनियन बजट पेश किया था। 1962 में उन्होंने वित्त वर्ष 1962-63 का अंतरिम बजट पेश किया था।
क्या था Spouse Allowance?
1968-69 का बजट इसलिए खास है, क्योंकि इसमें सरकार ने 'Spouse allowance'को खत्म कर दिया था। यह एक टैक्स-सेविंग टूल था। इसका इस्तेमाल तब किया जा सकता था जब पति और पत्नी दोनों की टैक्स देनदारी हो। यह पता लगने के बाद कि इसका दुरुपयोग हो रहा है, सरकार ने इसे खत्म करने का फैसला किया था। इसका एलान 1968 में पेश बजट में किया गया था। इसे सरकार ने दोबारा लागू नहीं किया।
Puzzle सॉल्व करने पर भी लगता था टैक्स
1972 में पेश बजट में सरकार के एक नए टैक्स की खूब आलोचना हुई थी। सरकार ने इसे वित्त वर्ष 1972-73 से लागू किया था। दरअसल, सरकार ने क्रॉवर्ड पजल सॉल्व करने पर इनाम के रूप में मिलने वाले पैसे पर टैक्स लगाया था। सरकार ने कहा था कि पजल सॉल्व करने पर मिलने वाले पैसे पर 34.5 फीसदी टैक्स लगेगा। तब पजल सॉल्व करने में कई लोग दिलचस्पी दिखाते थे। अखबार और पत्रिकाओं में पजल होता था। बाद में सरकार ने इस टैक्स को खत्म कर दिया था।
पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार ने पेश किया था बजट
वित्त वर्ष 1977-78 का यूनियन बजट भी खास था। इसकी वजह यह है कि यह गैर-कांग्रेस सरकार की तरफ से पेश होना वाला पहला यूनियन बजट था। तब फाइनेंस मिनिस्टर एचएम पटेल ने इस पेश किया था। वह प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जनता पार्टी की सरकार में वित्त मंत्री थे। इससे पहले आजादी के बाद से हर साल केंद्रीय बजट कांग्रेसी सरकार का वित्तमंत्री पेश करता था। देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार का प्रधानमंत्री बनने का श्रेय भी मोरारजी देसाई को जाता है।