भारत सरकार कोल इंडिया (Coal India), हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF) में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा फिस्कल ईयर की आखिरी तिमाही में केंद्र इन सरकारी कंपनियों में कुछ हिस्सेदारी बेचकर अपनी इनकम बढ़ा सकती है। फिलहाल शेयर बाजार अपने ऑल टाइम हाई पर ट्रेड कर रहा है जिसकी वजह से सरकार स्टेक सेल के बारे में सोच रही है।
सरकार इन कंपनियों में ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा वैल्यू पर अगर सरकार 5% भी शेयर बेचती है तो 16,500 करोड़ रुपए यानि 2 अरब डॉलर जुटा सकती है।
हालांकि मनीकंट्रोल स्वतंत्र तौर पर इस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं करता है। वैसे मनीकंट्रोल ने इस साल मई में यह खबर दी थी कि Hindustan Zinc में हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।
Hindustan Zinc पर किसका मालिकाना हक?
हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) में पहले सरकार की मैक्सिमम हिस्सेसदारी थी। सरकार ने 2002 में अपनी 26% हिस्सेदारी बेची थी। यह हिस्सेदारी अनिल अग्रवाल के वेदांता ग्रुप ने खरीदी थी। माइनिंग की दिग्गज कंपनी वेदांता ने बाद में और हिस्सेदारी खरीदकर Hindustan Zinc में अपना कुल स्टेक बढ़ाकर 64.92% कर लिया है।
सरकार अपने विनिवेश प्लान के तहत कोल इंडिया, NTPC, हिंदुस्तान जिंक और RITES में हिस्सेदारी बेचने वाली है। अगले 4 महीनों में सरकार ये स्टेक सेल कर सकती है।