क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के इनवेस्टर्स सहित इससे जुड़े लोग इसके लिए कानून का इंतजार कर रहे हैं। सरकार ने पिछले साल कहा था कि वह क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के लिए व्यापक नियम एवं कानून बनाएगी। सरकार ने इसके लिए कोशिशें भी शुरू कर दी थी। सोमवार को सरकार ने इस बारे में तस्वीर साफ करने की कोशिश की। फाइनेंस मिनिस्ट्री (Finance Ministry) में इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी (Economic Affairs Secretary) अजय सेठ (Ajay Seth) ने कहा कि सरकार का प्लान क्रिप्टोकरेंसी पर जल्द कंसल्टेशन पेपर पेश करने का है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में कानून के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।
फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक कार्यक्रम के दौरान सेठ ने कई अहम जानकारियां दी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "हमारा कंसल्टेशन पेपर तैयार हो गया है। हमने काफी गहराई में जाकर इसे तैयार किया है।" उन्होंने यह नहीं बताया कि सरकार इसे कब पेश करेगी। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि इसे अगले दो-तीन महीनों में पेश किया जा सकता है।
सेठ ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर कानून में थोड़ी देर हो सकती है। इसकी वजह यह है कि सरकार क्रिप्टोकरेसी के नियमन के लिए इंटरनेशनल फ्रेमवर्क का इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में International Monetary Fund और World Bank के साथ मिलकर काम कर रही है।
पिछले साल दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 पेश करने वाली थी। इसमें डिजिटल करेंसी के लिए व्यापक फ्रेमवर्क था। लेकिन, इस बिल को पेश नहीं किया गया। फिर, 1 फरवरी को पेश बजट में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से हुए मुनाफे पर 30 टैक्स का ऐलान कर दिया। क्रिप्टो से जुड़े ट्रांजेक्शन पर 1 फीसदी टीडीएस भी लगा दिया गया।
बाद में सरकार ने स्पष्ट किया कि क्रिप्टो से हुए मुनाफे पर टैक्स लगाने का मतलब यह नहीं है कि सरकार ने क्रिप्टकरेंसी की खरीद-फरोख्त को मान्यता दे दी है। उसके बाद सरकार ने वर्चुअल डिजिटर एसेट्स के रेगुलेशन के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क की जरूरत बताई थी। सरकार का मानना है कि कोई एक देश कानून बनाकर क्रिप्टकरेंसी को रेगुलेट नहीं कर सकता है। इसके लिए सभी देशों को मिलकर एक ग्लोबल फ्रेमवर्क बनाना जरूरी है।
सेठ ने महंगाई के बारे में कहा कि जल्द इसके नीचे आने की उम्मीद है। सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उनका असर जल्द देखने को मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार महंगाई को बढ़ने से रोकने के लिए और कदम उठा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक ग्रोथ के अनुमान में कमी करने की कोई जरूरत नहीं है। अभी आर्थिक ग्रोथ के लिए 7.5 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि किसी रेटिंग एजेंसी ने 7.5 फीसदी से कम ग्रोथ का अनुमान नहीं जताया है। इसलिए इसमें बदलाव करने की जरूरत नहीं है।