Zomato ने अपनी रणनीति बदल दी है। कंपनी अब ग्रोथ और मुनाफे दोनों पर फोकस करेगी। अब तक कंपनी का ज्यादा फोकस ग्रोथ पर था। कंपनी के को-फाउंडर दीपिंदर गोयल ने CNBCTV-18 को दिए इंटरव्यू में यह बात कही।
Zomato ने अपनी रणनीति बदल दी है। कंपनी अब ग्रोथ और मुनाफे दोनों पर फोकस करेगी। अब तक कंपनी का ज्यादा फोकस ग्रोथ पर था। कंपनी के को-फाउंडर दीपिंदर गोयल ने CNBCTV-18 को दिए इंटरव्यू में यह बात कही।
कंपनी ने अपनी रणनीति में तब बदलाव किया है, जब उसके शेयरों में तेज गिरावट देखने को मिली है। बुधवार को शुरुआती कारोबार में जोमैटो के शेयर में तेजी देखने को मिली। यह करीब 3 फीसदी चढ़कर 60.80 रुपये पर चल रहा था।
ब्लिंकिट के अधिग्रहण के बारे में गोयल ने कहा, "मुनाफे में आना जरूरी है। साथ ही हमें लंबी अवधि के अपनी इस नजरियां का भी ध्यान रखना होगा कि 10-20 साल बाद यह बिजनेस कैसा दिखेगा। इसलिए जोमैटो प्रॉफिट में आने पर फोकस कर रही है। ब्लिंकिट रोजाना सक्षम बन रही है।"
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गोयल ने यह नहीं बताया कि जोमैटो कब तक प्रॉफिट कमाना शुरू कर देगी। उन्होंने कहा, "यहां तक कि दिल्ली जैसे बड़े शहरों में हमारी ग्रोथ उतनी ही तेज है, जितनी छोटे शहरों में है। दिल्ली का हर छोटा इलाका एक छोटे शहर के बराबर है। हमारी पहुंच बढ़ रही है। ऑर्डर्स आने की रफ्तार भी तेज हो रही है।"
उन्होंने बताया कि बिजनेस बढ़ रहा है और मेरा मानना है कि इस दशक में ग्रोथ तेज बनी रहेगी। अगले दशक में जोमैटो हर साल 70 लाख से ज्यादा ट्रांजेक्टिंग यूजर्स को अपने साथ जोड़ेगी। तेजी से बढ़ते इनफ्लेशन के बारे में उन्होंने कहा कि इनफ्लेशन में 3-6 महीने के लिए उछाल दिख सकता है। लेकिन लंबी अवधि के लिहाज से हम बिजनेस को लेकर बहुत उत्साहित हैं।
गोयल ने ये बातें तब कही हैं, जब जोमैटो की ग्रोथ सपाट रहने के अनुमान लगाए जा रहे थे। इसकी वजह यह है कि ग्राहकों में कोविड-19 को लेकर डर घट रहा है। इस महामारी से जुड़ी ज्यादातर पाबंदियां हट चुकी हैं।
ब्लिंकिट के को-फाउंडर और सीईओ अलबिंदर ढिंडसा ने कहा, "क्विक कॉमर्स अब भी ऐसी अवस्था में है, जहां हम देख रहे हैं कि यह लोगों की जिंदगी में कैसे फिट करता है। लोग जिस तरह से 10-मिनट डिलीवरी के लिए पैसे चुकाना चाहते हैं, उससे हम उत्साहित हैं। हम विश्वास और आसानी के एवज में कस्टमर से पैसे ले रहे हैं।"
गोयल ने कहा, "हमने फूड डिलीवर में देखा है कि लोगों ने पैसे चुकाना शुरू कर दिया है। चार साल पहले हर व्यक्ति फ्री-सर्विस चाहता था और अब वे जो सुविधा मिल रही है, उसके लिए पैसे देने को तैयार हैं। डिस्काउंट घट गया है। जोमैटो के मामले में यह करीब 12 फीसदी है। ब्लिंकिट के मामले में यह बहुत कम है।"
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