'नाम में क्या रखा है...' विलियम शेक्सपियर के नाटक 'रोमियो एंड जूलियट' की यह लाइन क्या वाकई सच है? क्या सच में नाम में कुछ नहीं रखा है? बीयर कंपनी बीरा (Bira) के साथ हुए वाकये से तो ऐसा नहीं लगता। जो कुछ हुआ वह यही दर्शाता है कि नाम में बहुत कुछ रखा है और इसमें थोड़ा सा भी बदलाव बहुत कुछ बदल सकता है और कभी-कभी बेहद भारी पड़ सकता है।
कहानी कुछ इस तरह है कि बीरा बीयर की मालिक B9 बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड ने हाल ही में अपने नाम से ‘प्राइवेट’ शब्द हटाकर अपना नाम ‘B9 बेवरेजेज लिमिटेड’ कर लिया। कंपनी 2026 में अपना IPO लाने का प्लान कर रही है और यह उसी कवायद का हिस्सा है। नाम में किया गया यह बदलाव B9 बेवरेजेज के लिए 80 करोड़ का सीधा नुकसान लेकर आया। साथ ही वित्त वर्ष 2023-24 में घाटे को बढ़ा भी दिया।
अब आप जानना चाहेंगे कि इतने से बदलाव से इतना बड़ा घाटा कैसे? इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दरअसल अब कंपनी को बदले हुए नाम को अपने सभी प्रोडक्ट्स पर प्रिंट करना होगा। इसके चलते लेबल के लिए फिर से रजिस्ट्रेशन कराने, राज्यों में फिर से आवेदन करने की कवायद हुई। इन सब के चलते और प्रोडक्ट्स पर नए लेबल प्रिंट करने तक कंपनी की बिक्री कुछ महीनों के लिए रुक गई। नाम बदलने के कारण जो प्रोडक्ट पहले से कंपनी के स्टॉक में पड़े थे यानि बिके नहीं थे, वे या तो बेकार हो गए या फिर बिक्री के लायक नहीं रहे। इसलिए कंपनी को इनवेंट्री में 80 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डालने पड़े। यह तो रहा नाम बदले से सीधे तौर पर हुआ वित्तीय नुकसान। इसके अलावा इस घाटे से वित्त वर्ष 2024 में B9 बेवरेजेज के कुल घाटे में 68 प्रतिशत की वृद्धि हो गई।
कंपनी को वित्त वर्ष 2023-24 में 748 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। वहीं कुल बिक्री 638 करोड़ रुपये रही, जो वित्त वर्ष 2023 से 22 प्रतिशत कम रही। एक दशक पहले बीरा ने बेल्जियम से हेफेवेइजेन-स्टाइल के बेवरेजेस को इंपोर्ट करने अपनी शुरुआत की थी। बाद में इसने भारत में शराब बनाना शुरू कर दिया। हालांकि इसके लिए इसने आधा दर्जन थर्ड-पार्टी ब्रुअरीज को अपने साथ जोड़ा।
‘प्राइवेट लिमिटेड’ से ‘लिमिटेड’ बनने का मतलब
जब कोई कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से लिमिटेड में बदलती है तो यह प्राइवेट से पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन जाती है। इसका मतलब है कि यह पब्लिक से कैपिटल जुटा सकती है। प्राइवेट कंपनी में जहां 2 शेयरहोल्डर की जरूरत होती है, वहीं पब्लिक लिमिटेड कंपनी में कम से कम 7 शेयरहोल्डर्स की जरूरत होती है। पब्लिक लिमिटेड कंपनी के बोर्ड में कम से कम 3 डायरेक्टर जरूरी होते हैं, जबकि प्राइवेट कंपनी में केवल 2 डायरेक्टर जरूरी होते हैं।
इसके अलावा कंपनी के लिए कंपनीज एक्ट, 2013 के तहत रेगुलेटरी रिक्वायरमेंट्स में बढ़ोतरी होती है, शेयर स्वतंत्र रूप से ट्रांसफरेबल हो जाते हैं और कंपनी फंड जुटाने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्ट होने का विकल्प चुन सकती है। साथ ही डिस्क्लोजर के नियम ज्यादा होते हैं।