GoFirst की प्रॉब्लम खत्म होने का एक रास्ता दिख रहा है। वाडिया ग्रुप बैंकों को वन टाइम सेटलमेंट का ऑफर दे सकता है। इसके तहत बैंकों को भी कुछ रियायत देनी होगी। फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने यह खबर दी है। गोफर्स्ट वाडिया समूह (wadia Group) की कंपनी है। 2 मई को इसने एनसीएलटी (NCLT) में इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन के लिए अप्लिकेशन फाइल करने की खबर दी थी। इसने 3 से 5 तक हवाई सेवाएं बंद करने का ऐलान किया है। कंपनी ने कहा है कि उसके पास ऑपरेशन जारी रखने के लिए पैसे नहीं बचे हैं। इस कंपनी पर बैंकों का 65000 करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज बकाया है।
GoFirst ने अगल सेक्शन में अप्लाई किया
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर में बताया गया है कि चूंकि कंपनी ने लोन पर डिफॉल्ट नहीं किया है, जिससे इसे रिजॉल्यूशन प्लान ऑफर करने की इजाजत है। खबर में लीगल एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि एनसीएलटी में इनसॉल्वेंसी प्रोसिडिंग्स शुरू हो गई है। गोफर्स्ट ने सेक्शन 7 और 9 की जगह सेक्शन 10 के तहत इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी (IBC) याचिका फाइल की है। सेक्शन 10 के तहत कर्ज लेने वाली कंपनी को अपने खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रोसिडिंग्स शुरू करने की इजाजत है। उधर, सेक्शन 7 और 8 के तहत बैंकों को अपने पैसे की रिकवरी के लिए कंपनी के खिलाफ NCLT जाने की इजाजत है। मनीकंट्रोल इस खबर को वेरिफाय नहीं कर पाया है।
रिजॉल्यूशन के लिए फाइल की गई याचिका
गोफर्स्ट ने सीईओ कौशिक खोना ने कहा कि इनसॉल्वेंसी की याचिका रिजॉल्यूशन के लिए है। उन्होंने कहा कि प्रमोटर वाडिया ग्रुप इस कंपनी से बाहर होगा। उन्होंने कहा कि स्थिति से बाहर निकलने के लिए जो भी मुमकिन हैं हम कर रहे हैं। उन्होंने कंपनी के एंप्लॉयीज से भी कहा है कि आईबीसी रिलीफ के लिए सेक्शन 10 बेहतर है। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को बताया है कि इस मामले में सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी, क्योंकि यह मामला एनसीएलटी में है। लेकिन, उसकी करीब नजर डेवलपमेंट पर है।
कंपनी पर वेंडर्स का भी 11,463 करोड़ रुपये बकाया
NCLT में गोफर्स्ट की याचिका पर अब 5 मई को सुनवाई होगी। इस एयरलाइन को लोन देने वाले बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, डोएचे बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं। गोफर्स्ट पर इन बैंकों का 6,521 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा गोफर्स्ट पर वेंडर्स का 11,463 करोड़ रुपये बकाया है। 2 मई को इस एयरलाइन ने कहा था कि प्रैट एंड व्हीटनी के इंजन सप्लाई नहीं करने से कंपनी अपने आधे विमानों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। इस वजह से उसे पैसे की बहुत दिक्कत हो गई है।