सरकार ने इंडियन कंपनियों के विदेश में निवेश करने से जुड़े नियमों को अधिसूचित कर दिया है। इसका मकसद इज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of doing business) है। विदेश में निवेश से जुड़े मौजूदा नियमों को फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (ओवरसीज इनवेस्टमेंट) रूल्स, 2022 में शामिल कर दिया गया है। एक्विजिशन एंड ट्रांसफर ऑफ इमूवेबल प्रॉपर्टी आउटसाइड इंडिया रेगुलेशंस, 2015 को भी फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (ओवरसीज इनवेस्टमेंट) रूल्स, 2022 का हिस्सा बना दिया गया है।
फाइनेंस मिनिस्ट्री (Finance Ministry) ने एक बयान में कहा है, "ग्लोबल मार्केट तेजी से इंटिग्रेट हो रहा है। ऐसे में इंडियन बिजनेसेज की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए इंडियन कंपनियों के लिए ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बनना जरूरी है। विदेश में निवेश के लिए रिवाइज्ड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को करेंट बिजनेस और इकोनॉमिक डायनामिक्स के हिसाब से बदला गया है।"
मिनिस्ट्री ने कहा है कि विदेश में प्रत्यक्ष निवेश और विदेश में पोर्टफोलियो निवेश के बारे में नियमों को स्पष्ट किया गया है। विदेश में निवेश से जुड़े कई ट्रांजेक्शन जो पहले एप्रूवल रूट के तहत आते थे, अब ऑटोमैटिक रूट के तहत आ गए हैं। इससे इज ऑफ डूइंग बिजनेस काफी बढ़ा है।
पिछले साल सरकार ने इंडियन कंपनियों के विदेश में निवेश से जुड़े नियमों को आसान बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। उसने इसमें RBI की सलाह ली थी। फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (ओवरसीज इनवेस्टमेंट) रूल्स और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (ओवरसीज इनवेस्टमेंट) के ड्राफ्ट को परामर्श (Consultation) के लिए सार्वजनिक किया गया था।
फाइनेंस मिनिस्ट्री की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में कहा गया है कि नए नियमों में भारतीय नागरिक के इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC) में विदेशी निवेश को भी शामिल किया गया है। इंडिया में रहने वाला कोई व्यक्ति इंडिया में लिमिट्स के तहत IFSC में विदेशी निवेश कर सकता है।
अधिसूचना में कहा गया है कि इंडिया में रहने वाला कोई व्यक्ति आईएफएससी में स्थापित किसी इनवेस्टमेंट फंड या व्हीकल में बतौर ओवरसीज पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट (OPI) में कंट्रिब्यूशन कर सकता है। नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि कोई रेजिटेंड इंडिविजुअल आईएफएससी में किसी फॉरेन एंटिटी में ओवरसीज डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (ODI) कर सकता है। इसमें फाइनेंशियल सर्विसेज एक्टिविटी (बैंकिंग और इंश्योरेंस छोड़कर) शामिल हैं। इसमें शर्त यह है कि ऐसी एंटिटी की कोई सब्सिडियरी या स्टेप डाउन सब्सिडियरी आईएफएससी के बाहर नहीं होनी चाहिए, जिसमें फॉरेन एंटिटी में रेजिडेंट इंडियन का कंट्रोल हो।
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कोई अथॉराइज्ड डीलर बैंक होस्ट कंट्री की शर्तों के मुताबिक फॉरेन सिक्योरिटीज हासिल या ट्रांसफर कर सकता है। इसमें अथॉराइज्ड बैंक डीलर के ओवरसीज ब्रांच भी शामिल हैं।
अभी RBI की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत एक साल में किसी एक व्यक्ति को 2,50,000 डॉलर का निवेश विदेश में करने की इजाजत है। नोटिफिकेशन में कंपनियों के बारे में कहा गया है कि कोई इंडियन कंपनी अपनी आखिरी ऑडिटेड बैलेंसशीट के नेट वर्थ के 50 फीसदी से ज्यादा OPI नहीं कर सकता।