Labour Code: केंद्र सरकार नए लेबर कोड (Labour Code) के नियमों को जल्द लागू करना चाहती है। ऐसी उम्मीद है कि ये लेबर कोड के नियम अक्टूबर में लागू हो सकते हैं। हालांकि, इस पर अब केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने बताया कि लेबर कोड के नियम लागू करने के पीछे सरकार की क्या प्लानिंग है। मंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि नए लेबर कोड के माध्यम से रोजगार के मौके बढ़ोतरी होगी। साथ ही कर्मचारियों का कौशल विकास और पूंजी निर्माण होगा।
केंद्रीय मंत्री ने दी बड़ी जानकारी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भूपेंद्र यादव ने बताया कि नए लेबर कोड का उद्देश्य एक ऐसा समाज को बनाना है जिससे अपराधियों को बढ़ावा न मिले। उन्होंने कहा कि सरकार ने पुराने कानूनों को युक्तिसंगत बनाने पर काम किया है। साथ पुरुषों और महिलाओं दोनों कों सही मेहनताना दिये जाने पर फोकस किया है। साथ ही ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड वेज स्टैंडर्ड पर ध्यान दिया है। 29 अधिनियमों को चार नए लेबर कोड में बदला गया है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि इसे कब से लागू किया जाएगा।
चारों लेबर कोड नियमों के लागू होने से देश में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के मौके बढ़ेंगे। लेबर कानून देश के सविंधान का अहम हिस्सा है। अभी तक 23 राज्यों ने लेबर कोड नियम के रूल्स बना लिए हैं।
भारत में 29 सेंट्रल लेबर कानून को 4 कोड में बांटा गया है। कोड के नियमों में वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध (Industrial Relations) और व्यवसाय सुरक्षा (Occupation Safety) और स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति आदि जैसे 4 लेबर कोड शामिल है। अभी तक 23 राज्यों ने इन ड्राफ्ट कानूनों को तैयार कर लिया है। संसद द्वारा इन चार संहिताओं को पारित किया जा चुका है, लेकिन केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है। उसके बाद ही ये नियम राज्यों में लागू हो पाएंगे। ये नियम बीते साल 1 अप्रैल 2021 से लागू होने थे लेकिन राज्यों की तैयारी पूरी नहीं होने के कारण इन्हें टाल दिया गया।
बेसिक सैलरी कुल वेतन की 50 फीसदी
नए ड्राफ्ट रूल के अनुसार, बेसिक सैलरी कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों के वेतन का स्ट्रक्चर बदल जाएगा, बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी का पैसा ज्यादा पहले से ज्यादा कटेगा। पीएफ बेसिक सैलरी पर आधारित होता है। पीएफ बढ़ने पर टेक-होम या हाथ में आने वाली सैलरी कम हो जाएगी।
बढ़ जाएगा रिटायरमेंट पर मिलने वाला पैसा
ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला पैसा बढ़ जाएगा। इससे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बेहतर जीवन जीने में आसानी होगी। पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों के लिए लागत में भी बढ़ोतरी होगी क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना होगा। इसका सीधा असर उनकी बैलेंसशीट पर पड़ेगा।
रोजाना काम के घंटों की सीमा 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने के साथ ही साप्ताहिक काम के घंटों को 48 घंटे तक सीमित रखने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही कंपनी 4 दिन के कामकाजी सप्ताह की दिशा में कदम बढ़ा सकती है, लेकिन नियम उसे काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने की अनुमति देते हैं।