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GST Council की 56वीं बैठक में बड़ा फैसला! सिर्फ 5% और 18% का स्लैब रेट रखने के प्रस्ताव को मंजूरी

जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में जीएसटी सिस्टम में 5% और 18% के ही स्लैब रेट रखने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। जानकारी के मुताबिक काउंसिल मे 12% और 28% के स्लैब रेट को हटाने की मंजूरी दे दी है। बता दें कि जीएसटी काउंसिल की बैठक आज 3 सितंबर को शुरू हुई है और यह कल यानी 4 सितंबर तक जारी रहेगी

अपडेटेड Sep 03, 2025 पर 8:33 PM
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GST Council Meeting: जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक आज नई दिल्ली में हुई।

जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने आज 3 सितंबर को जीएसटी सिस्टम में सिर्फ दो स्लैब-5% और 18% रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है। जानकारी के मुताबिक जीएसटी काउंसिल ने 12% और 18% के स्लैब को हटा दिया है। बता दें कि जीएसटी काउंसिल की बैठक आज 3 सितंबर को शुरू हुई है और यह कल यानी 4 सितंबर तक जारी रहेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी काउंसिल की नई दिल्ली में यह 56वीं बैठक हो रही है।

फेस्टिव सीजन के पहले लागू होगा दो स्लैब रेट वाला GST सिस्टम

सूत्रों के मुताबिक जीएसटी काउंसिल ने आज जीएसटी सिस्टम में सिर्फ दो स्लैब-5% और 18% रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मंत्रियों का समूह (GoM) पहले ही जीएसटी रिजीम के ढांचे में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुके थे और इसे दो-रेट सिस्टम बना चुके थे। नए बदलाव के त्योहारी सीजन की शुरुआत से ठीक पहले अगले कुछ हफ्तों में लागू होने की संभावना है।


इसके अलावा उम्मीद की जा रही है कि जीएसटी काउंसिल वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम को जीएसटी के दायरे से बाहर रख सकती है। इसके अलावा जीवन रक्षक दवाओं की दरों में कटौती भी कर सकती है। टैक्स पैनल टैक्सपेयर्स को बढ़ावा देने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को निचले स्लैब में ला सकती है।

सूत्रों के मुताबिक माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी तेज करने की पहल हो सकती है। जानकारी के मुताबिक एमएसएमई के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को तीन ही दिनों के भीतर पूरा करने की कोशिश है। अभी इसमें कई हफ्ते लग जाते हैं।

कुछ राज्यों ने की भरपाई की मांग

जीएसटी सिस्टम के ढांचे में बदलाव को लेकर गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने रेवेन्यू में गिरावट की भरपाई की मांग की है। हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल तथा कर्नाटक सहित आठ राज्यों ने मुआवजे की मांग की है, जबकि कुछ राज्यों ने बदलाव के चलते रेवेन्यू में कितनी गिरावट आ सकती है, इसका अनुमान मांगा है।

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