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Tata Group Layoff: 800 एंप्लॉयीज की छुट्टी करेगी Tata Steel, इस कारण हो रही छंटनी

Tata Group Layoff: टाटा ग्रुप (Tata Group) की टाटा स्टील (Tata Steel) भारी संख्या में एंप्लॉयीज की छंटनी करने जा रही है। कंपनी ने ऐलान किया कि यह अपने IJmuiden प्लांट में करीब 800 एंप्लॉयीज की छुट्टी करेगी। अभी यहां करीब 9200 एंप्लॉयीज काम पर लगे हुए हैं। जानिए कंपनी यह छंटनी क्यों कर रही है और इसके कारोबारी ढांचे में क्या बदलाव हो रहा है?

अपडेटेड Nov 14, 2023 पर 10:09 AM
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टाटा की स्टील फैक्ट्री नीदरलैंड में कुल कॉर्बन डाई ऑक्साईड उत्सर्जन में अकेले ही 7 फीसदी की भागीदार है और इस प्रकार यह नीदरलैंड की सबसे बड़ी सिंगल पॉल्यूटर है।

Tata Group Layoff: टाटा ग्रुप (Tata Group) की टाटा स्टील (Tata Steel) भारी संख्या में एंप्लॉयीज की छंटनी करने जा रही है। यह छंटनी टाटा स्टील की नीदरलैंड्स इकाई में होगी। कंपनी ने 13 नवंबर को ऐलान किया कि यह अपने IJmuiden प्लांट में करीब 800 एंप्लॉयीज की छुट्टी करेगी। अभी यहां करीब 9200 एंप्लॉयीज काम पर लगे हुए हैं। यह प्लांट एम्सटर्डम के पश्चिम में 30 किमी (19 मील) दूर डच कोस्ट पर स्थित है। टाटा स्टील की डच इकाई यह छंटनी मुनाफा बढ़ाने की कोशिशों के तहत कर रही है।

कारोबारी ढांचे में बदलाव कर रही Tata Steel

कंपनी ने जो बयान जारी किया है, उसमें इसने कहा है कि मार्केट में स्थिति सुधारने और लागत घटाने की कोशिशों के बावजूद अभी बहुत किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा क्लीन एनर्जी की तरफ कंपनी शिफ्ट हो रही है तो इसके तहत बड़ा निवेश किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा। कुल मिलाकर कंपनी अपने कारोबारी ढांचे में बदलाव कर रही है। इसका असर मैनेजेरियल और सपोर्ट स्टॉफ पर अधिक पड़ेगा। कंपनी के मुताबिक मौजूदा कॉम्पटीटिव माहौल में टिके रहने के लिए जब इसका स्टील प्लांट अधिक टिकाऊ प्रोडक्शन मेथड की तरफ शिफ्ट हो रहा है तो इसे छंटनी का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।


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इस कारण क्लीन एनर्जी पर शिफ्ट हो रही कंपनी

टाटा की स्टील फैक्ट्री नीदरलैंड में कुल कॉर्बन डाई ऑक्साईड उत्सर्जन में अकेले ही 7 फीसदी की भागीदार है और इस प्रकार यह नीदरलैंड की सबसे बड़ी सिंगल पॉल्यूटर है। ऐसे में डच सरकार के साथ मिलकर इसने स्टील बनाने के लिए ग्रीन रास्ते पर शिफ्ट होने की तैयार की है। हालांकि इसे लेकर अभी तक किसी समझौते पर बात नहीं बनी है। अपने लेटेस्ट प्लान में टाटा ने कहा था कि वर्ष 2030 तक यह कोयले और लौह अयस्क पर आधारित उत्पादन को मेटल स्क्रैप और हाइड्रोजन पर चलने वाले ओवन से बदल देगा। हालांकि कंपनी ने फाइनेंशियल डिटेल्स मुहैया नहीं कराया।

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