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HAL as Maharatna: महारत्नों की सूची में एक और एंट्री, एचएएल बनी 14वीं पीएसयू, चेक करें पूरी लिस्ट

HAL as Maharatna: डिफेंस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। एचएएल अब महारत्न बन गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मंजूरी मिलने के बाद डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज ने इसकी जानकारी दी है। एचएएल को अपग्रेड करने के लिए हाई लेवल की दो कमेटियों- वित्त मंत्री की अगुवाई में इंटर-मिनिस्टरियल कमेटी (IMC) और कैबिनेट सचिव की अगुवाई में एपेक्स कमेटी ने सिफारिश की थी

अपडेटेड Oct 12, 2024 पर 2:05 PM
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HAL as Maharatna: एचएएल 14वीं कंपनी है जिसे महारत्न का स्टेटस मिला है। इससे पहले पिछले साल अगस्त 2023 में ऑयल इंडिया को महारत्न मिला था।

HAL as Maharatna: डिफेंस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। एचएएल अब महारत्न बन गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मंजूरी मिलने के बाद डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज ने X (पूर्व नाम Twitter) पर एक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी है। एचएएल को अपग्रेड करने के लिए हाई लेवल की दो कमेटियों- वित्त मंत्री की अगुवाई में इंटर-मिनिस्टरियल कमेटी (IMC) और कैबिनेट सचिव की अगुवाई में एपेक्स कमेटी ने सिफारिश की थी। एचएएल डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन (DoDP) के तहत काम करती है। वित्त वर्ष 2023-24 में इसका सालाना टर्नओवर 28,162 करोड़ रुपये और नेट प्रॉफिट 7,595 करोड़ रुपये का था। महारत्न बनने वाली यह 14वीं कंपनी है और यह उपलब्धि हासिल करने के बाद इसकी स्वायत्तता बढ़ेगा और वित्तीय ताकत भी।

और कौन-कौन सी कंपनियां हैं Maharatna?

एचएएल 14वीं कंपनी है जिसे महारत्न का स्टेटस मिला है। इससे पहले पिछले साल अगस्त 2023 में ऑयल इंडिया को महारत्न मिला था। महारत्न की इस सूची में में एचएएल और ऑयल इंडिया के अलावा भेल, बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड), कोल इंडिया, गेल, एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियन कॉरपोरेशन लिमिटेड), इंडियन ऑयल, एनटीपीसी, ओएनजीसी, पावर ग्रिड, सेल, आरईसी और पीएफसी भी हैं।


कैसे मिलता है महारत्न स्टेटस?

महारत्न दर्जा हासिल करने के लिए किसी सरकारी कंपनी को कठोर वित्तीय मानदंडों को पूरा करना होता है। तीन वर्षों में उनका औसत सालाना कारोबार 25,000 करोड़ रुपये से अधिक, औसत सालाना नेटवर्थ 15,000 करोड़ रुपये से अधिक, और औसत सालाना शुद्ध मुनाफा 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए। इसके अलावा सरकार के सहारे या गारंटी की बिना भी इन्हें काम करना होता है। यह दर्जा मिलने के बाद कंपनियों को फैसले लेने की और अधिक आजादी मिलती है। ये बिना किसी सीमा के नई खरीदारी कर सकते हैं औक रिप्लेसमेंट्स कर सकती हैं। इसकी तुलना नवरत्न से करें तो ये कंपनियां बिना सरकार से मंजूरी लिए 1000 करोड़ रुपये या एक प्रोजेक्ट में अपने नेटवर्थ का 15 फीसदी ही निवेश कर सकती हैं।

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