GST on Online Gaming: जीएसटी काउंसिल ने मंगलवार 11 जुलाई को ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग रेवेन्यू पर 28 फीसदी की दर से टैक्स लगाने का ऐलान किया। इस पर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने काफी ऐतराज जताया है। हालांकि आज नजारा टेक (Nazara Tech) का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने से इसके रेवेन्यू पर मामूली फर्क पड़ेगा। वहीं दूसरी तरफ ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) के सीईओ रोलैंड लैंडर्स ने जीएसटी काउंसिल के इस फैसले को असंवैधानिक, अटपटा और गड़बड़ बता दिया है। इसके अलावा गेम्सक्राफ्ट फाउंडर्स के चीफ स्ट्रैटेज एडवाइजर अमृत किरण सिंह का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग पर जरूरत से ज्यादा टैक्स लगाए जाने पर भारतीय गेमिंग कंपनियां दूसरे देशों में शिफ्ट हो सकती हैं।
Nazara के रेवेन्यू पर क्यों पड़ेगा कम असर
गेमिंग कंपनी नजारा टेक का कहना है कि लागू होने के बाद यह टैक्स इसके सिर्फ स्किल पर आधारित रियल मनी गेमिंग सेगमेंट पर लगेगा। वित्त वर्ष 2023 के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इस सेगमेंट की नजारा के रेवेन्यू में करीब 5.2 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं कंपनी का कहना है कि उसके रेवेन्यू में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी काफी कम है लेकिन टैक्स की 28 फीसदी दर का कम से कम फर्क पड़े, इसके लिए सक्रिय तरीके से कदम उठाए जाएंगे। अभी यह कंपनी क्लासिक रमी (ऑनलाइन रमी) और हालाप्ले (ऑनलाइन फैंटेसी) जैसे टाइटल ऑपरेट करती है।
बाकी गेमिंग कंपनियों का क्या कहना है
मंगलवार को जीएसटी काउंसिल की 50वीं बैठक में संभावनाओं और कौशल के खेलों में कोई फर्क नहीं मानते हुए ऑनलाइन गेमिंग, हॉर्स रेसिंग और कैसिनो पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने का फैसला किया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी जानकारी दी। इस फैसले को लेकर गेमिंग कंपनियां विरोध में आ गई हैं।
सभी फॉर्मेट और कैटेगरी की 150 ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां और गेम डेवलपर्स की फेडरेशन AIGF का आरोप है कि इस मामले में अधिकतर राज्यों ने जो सुझाव दिए थे, उसे नजरअंदाज किया गया जबकि उन्होंने इस मसले पर विस्तार से अध्ययन किया था। गेम्सक्राफ्ट फाउंडर्स की चीफ स्ट्रैटेजी एडवाइजर अमृत किरण सिंह का कहना है कि इससे देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम में मौजूद अधिकतर सफल कंपनियों का सफाया हो जाएगा। अमृत का यह भी कहना है कि इससे सरकार के अलग-अलग विभागों में तालमेल के अभाव का पता चलता है।