Go First Liquidation: नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने बंद पड़ी लो कॉस्ट एयरलाइन गो फर्स्ट के लिक्विडेशन का आदेश दिया है। ज्यूडिशियल मेंबर महेंद्र खंडेलवाल और टेक्निकल मेंबर डॉ. संजीव रंजन की NCLT बेंच ने गो फर्स्ट के लेनदारों की समिति (CoC) की ओर से दायर लिक्विडेशन के आवेदन को स्वीकार कर लिया। CoC ने सितंबर 2024 में एयरलाइन के लिक्विडेशन के लिए आवेदन दायर किया था क्योंकि एयरलाइन के पास कोई एयरक्राफ्ट नहीं बचा था और न ही रिवाइवल के लिए कोई व्यावहारिक विकल्प था। आवेदन को दिसंबर 2024 में फैसले के लिए सुरक्षित रखा गया था।
लिक्विडेशन में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर उसका कर्ज चुकाया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद कंपनी का अस्तित्व खत्म हो जाता है। पिछले साल अक्टूबर तक गो फर्स्ट के 54 एयरक्राफ्ट्स के तत्कालीन फ्लीट का एक-चौथाई हिस्सा भारत से बाहर जा चुका था। वहीं 31 दिसंबर, 2024 तक फ्लीट में से आधे से अधिक एयरक्राफ्ट भारत से बाहर जा चुके थे। दिसंबर के अंत तक एयरलाइन के 54 प्लेन्स में से 28 को लेसर्स यानि प्लेन लीज पर देने वालों ने वापस ले लिया।
गो फर्स्ट ने मई 2023 में वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू की थी। वाडिया समूह की एयरलाइन गो फर्स्ट ने 2 मई, 2023 को उड़ान भरना बंद कर दिया था और NCLT ने 8 दिन बाद वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी के लिए इसकी याचिका स्वीकार कर ली थी।
एयरलाइन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, गो फर्स्ट पर बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, ड्यूश बैंक और IDBI बैंक सहित कर्जदाताओं का 6,521 करोड़ रुपये का बकाया है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का सबसे अधिक 1,987 करोड़ रुपये का कर्ज है। उसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,430 करोड़ रुपये, ड्यूश बैंक का 1,320 करोड़ रुपये और IDBI बैंक का 58 करोड़ रुपये का कर्ज है।
बैंकों की उधारी के अलावा गो फर्स्ट पर विभिन्न एयरक्राफ्ट लेसर्स का लगभग 2,000 करोड़ रुपये, वेंडर्स का लगभग 1,000 करोड़ रुपये, ट्रैवल एजेंट्स का लगभग 600 करोड़ रुपये और ग्राहकों का 500 करोड़ रुपये का पेंडिंग रिफंड बकाया है। गो फर्स्ट ने कोविड संकट के दौरान शुरू की गई केंद्र की इमरजेंसी क्रेडिट स्कीम के तहत 1,292 करोड़ रुपये भी उधार लिए थे। एयरलाइन की कुल देनदारियां लगभग 11,000 करोड़ रुपये हैं।
एयरलाइन के एसेट्स में क्या-क्या
गो फर्स्ट की बची हुई संपत्तियों में से एक प्रमुख संपत्ति ठाणे में 94 एकड़ जमीन है, जिसे वाडिया समूह ने बैंकों को जमानत के तौर पर दिया था। इस जमीन की कीमत करीब 3,000 करोड़ रुपये है। जमीन के अलावा एयरलाइन की संपत्ति में मुंबई में एयरबस ट्रेनिंग फैसिलिटी और इसका हेडक्वार्टर भी शामिल है।