भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव (D Subbarao) ने सभी सरकारी बैंकों (PSB) के निजीकरण (Privatisation) के लिए सरकार को 10 साल का एक खाका या रूपरेखा तैयार करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि यह रूपरेखा या खाका बैंकिंग इंडस्ट्री से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स को एक जरूरी अनुमान मुहैया कराएगा।
सुब्बाराव ने आगे कहा कि सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए बहुत बड़ा अप्रोच अपनाने की जरूरत नहीं है, लेकिन साथ ही इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में भी नहीं रखा जाना चाहिए।
न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा, "आदर्श रूप से हमारे पास सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण करने के लिए शायद 10 साल की समयसीमा में एक खाका या रूपरेखा होनी चाहिए। इससे सभी स्टेकहोल्डर्स या हितधारक स्थिति का अनुमान लगा सकेंगे।" सुब्बाराव ने यह भी कहा कि सरकार को सरकारी बैंकों को कंपनी का रूप देने के बार में भी सोचना चाहिए ताकि वे समान रिजर्व बैंक विनियमन के दायरे में आ जाएं।
सुब्बाराव के अनुसार, सरकारी बैंकों के निजीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था पर दो तरह से असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, "सरकारी बैंक, सामाजिक उद्देश्यों को चलाने के दायित्व से मुक्त होकर निजी बैंकों की तरह मुनाफे को अधिकतम करने का प्रयास करेंगे। इससे बैंकिंग सिस्टम की कुल क्षमता और दक्षता में सुधार होगा।"
उन्होंने कहा, "हालांकि, इससे वित्तीय समावेशन और खेती-बाड़ी जैसे प्राइमरी सेक्टर को लोन दिए जाने जैसे सामाजिक उद्देश्य कुछ हद तक प्रभावित हो सकते हैं।"
बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में, सरकार ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी और सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी दी। सरकारी थिंक-टैंक NITI Aayog पहले ही 'निजीकरण और विनिवेश के लिए बनी सचिवों के कोर ग्रुप' को दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का सुझाव दे चुका है।
बता दें कि साल 2020 में सरकार ने 10 सरकारी बैंकों को चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया, जिससे सरकारी बैंकों की संख्या घटकर अब 12 हो गई है।