दिसंबर तिमाही के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) घटकर 4.6 प्रतिशत रह सकती है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान जताया है। उनका कहना है कि जीडीपी को लेकर संकेत देने वाले 30 महत्वपूर्ण आंकड़ों के इस तिमाही में उतने मजबूत नहीं है जितने पिछली तिमाही में थे। हालांकि, यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4.4 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के अनुमान से अधिक है। बता दें कि इससे पहले सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी रही थी। आर्थिक ग्रोथ रेट में कमी के अनुमान के पीछे एक वजह भारतीयों कंपनियों के दिसंबर तिमाही के नतीजे कमजोर होना है।
फाइनेंशिल सर्विसेज और बीमा कंपनियों को छोड़ दें, तो बाकी कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट (EBITDA) दिसंबर तिमाही के दौरान 9 फीसदी की दर से बढ़ा, जो पिछले साल के 18 प्रतिशत की तुलना में आधा है।
SBI ग्रुप के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्यकांति घोष ने रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर तिमाही के दौरान कंपनियों के नेट सेल्स में करीब 15 फीसदी की ग्रोथ दर्ज गई। हालांकि इसके बावजूद उनके मुनाफे में औसतन 16 फीसदी की कमी आई है।
घोष ने कहा कि पूरे वित्त वर्ष 2023 में देश की GDP ग्रोथ रेट 7 फीसदी रहने की उम्मीद है, जो पहले के 6.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है।
सरकार GDP आंकड़ों में कर सकती है संशोधन
इसका कारण सरकार की तरफ से 28 फरवरी को वित्त वर्ष 2020, 2021 और 2022 के लिए GDP आंकड़ों में संशोधन किए जाने का अनुमान है। इसके अलावा, 2020, 2021, 2022 के तिमाही आंकड़ों में भी संशोधन का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023 की पहली और दूसरी तिमाही में भी जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़े संशोधित किए जाने की संभावना है।
रिपार्ट के अनुसार, ऐसा लगता है कि कच्चे माल की ऊंची लागत के कारण कंपनियों के मार्जिन पर दबाव है। यह फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियों को छोड़कर शेयर बाजार में सूचीबद्ध करीब 3,000 कंपनियों के परिणाम से पता चलता है।
इन कंपनियों का वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में मार्जिन घटकर 11.9 प्रतिशत रहा, जो इसके पिछले वित्त वर्ष इसी तिमाही में 15.3 प्रतिशत था। इससे तीसरी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ रेट कम हो सकती है।