मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने ब्रोकरेज फर्म आईआईएफएल सिक्योरिटीज (IIFL Securities) को 2 साल तक कोई भी नया ग्राहक जोड़ने से बैन कर दिया है। सेबी ने क्लाइंट्स के फंड्स का गलत इस्तेमाल के चलते IIFL सिक्योरिटीज पर यह कार्रवाई की है। सेबी ने पाया कि IIFL अपने खुद के फंड (प्रोपराइटरी फंड) को ग्राहकों के फंड से अलग करने में विफल रहा। साथ ही इसने डेबिट बैलेंस रखने वाले क्लाइंट्स के लाभ के लिए क्रेडिट बैलेंस रखने वाले क्लाइंट्स के फंड का दुरुपयोग किया। इसके अलावा इसने क्रेडिट बैलेंस रखने वाले क्लाइंट्स के फंड का इस्तेमाल खुद के कर्ज जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए किया।
मार्केट रेगुलेटर ने 1 अप्रैल 2011 से लेकर 31 दिसंबर 2013 तक की अवधि के IIFL के अकाउंट्स बुक की जांच की थी। यह जांच 30 जनवरी से 3 फरवरी 2014 के बीच की गई थी। SEBI ने पाया कि IIFL के चाल-चलन 'सेबी (स्टॉक ब्रोकर) रेगुलेशन, 1992' के तहत स्टॉक ब्रोकरों के लिए तय आचार संहिता के प्रावधानों के मुताबिक नहीं थे।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 19 जून के अपने आदेश में कहा, "नोटिस प्राप्तकर्ता (IIFL सिक्योरिटीज) ने सेबी के 1993 के सर्कुलर के प्रावधानों का कई तरीकों से उल्लंघन किया है और नियामकीय निर्देशों की अवहेलना कर सर्कुलर के मूल सिद्धांत को भी पूरी तरह से नकारा है।"
इसमें कहा गया है, "नोटिस प्राप्तकर्ता ने सबसे पहले अपने खातों को उचित नाम नहीं दिया, जिसमें वह ग्राहकों के पैसे रख रहा था। इस तरह इसने अपने और क्लाइंट्स के फंड को मिलाया। इसके अलावा इसने अपने खुद के इस्तेमाल के लिए उन मिश्रित फंड्स का उपयोग किया। अंत में, यह अपने क्रेडिट बैलेंस क्लाइंट्स के फंड का उपयोग न केवल अपने डेबिट बैलेंस क्लाइंट्स के ट्रेडों को फंड करने के लिए बल्कि अपने खुद के ट्रेडों को फंड करने के लिए भी कर रहा था।"
आदेश में कहा गया है कि जांच से पता चला है कि IIFL ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की ओर से चेतावनी मिलने के बावजूद बैंक रिकॉर्ड में अपने 45 ग्राहकों के खातों में से 26 को 'क्लाइंट अकाउंट' के रूप में नामांकित नहीं किया था।