फिनटेक फर्म भारतपे (BharatPe) में एक और विवाद उभरता दिख रहा है। हालांकि इस बार विवाद के केंद्र में अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) नहीं, बल्कि कंपनी के मूल फाउंडर भाविक कोलडिया (Bhavik Koladiya) दिखाई दे रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोलडिया ने BharatPe कंपनी शुरू की थी। हालांकि अमेरिका में एक क्रेडिट कॉर्ड फ्रॉड मामले में दोषी पाए जाने के बाद ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपनी हिस्सेदारी कंपनी के बाकी दो कोफाउंडर- अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) और शाश्वत नकरानी (Shashvat Nakrani) में बांट दिया था।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है अब भाविक कोलडिया की हिस्सेदारी को लेकर कुछ विवाद उभरने के संकेत दिखने शुरू हो गए हैं। एक सूत्र ने बताया कि अशनीर ग्रोवर और भाविक कोलडिया के संबंध हालिया विवाद में काफी खराब हो गए हैं। ऐसे में यह काफी जटिल स्थिति बन गई है कि कोलडिया की हिस्सेदारी अब उन्हें कैसे वापस ट्रांसफर की जाए।
BharatPe ने कुछ दिनों पहले महीनों लंबे चले विवाद के बाद अशनीर ग्रोवर को कंपनी से हटाने का ऐलान किया था। BharatPe ने अशनीर और उनके परिवार पर कंपनी के फंड का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उन्हें कंपनी के सारे पद से हटाने के साथ उनसे फाउंडर कहे जाने का दर्जा भी छीन लिया था।
रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से बताया गया, "सिकोइया कैपिटल के कंपनी में निवेश से पहले कोलडिया की हिस्सेदारी को कंपनी के बाकी दो फाउंडर्स में बांटा गया था, जिससे उन्हें ओनरशिप टेबल से हटाया जा सके। इस संबंध में ईमेल के जरिए हुई एक बातचीत भी है।" सूत्र ने कहा कि यह भी संभव है कि बताया कि इस मामले में दोनों के बीच कोई एग्रीमेंट हुआ हो।
BharatPe की सभी प्रमुख फंडिंग-राउंड में उसकी अगुआई अशनीर ग्रोवर ही करते थे। 2021 में हुए आखिरी फंडिंग राउंड में कंपनी की वैल्यू 2.8 अरब डॉलर लगी थी। ग्रोवर पिछले साल भारतपे के मैनेजिंग डायरेक्टर बने थे। हालांकि इसके साथ उन्होंने फंडिंग-राउंड में भारतपे की अगुआई करना भी जारी रखा था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बीच कोलडिया भी इस मामले में अपने वकीलों से सलाह मशविरा कर रहे हैं। हाल ही में लीक हुए एक ऑडियो कॉल से पता चलता है कि अशनीर ग्रोवर और भाविक के बीच संबंध काफी खराब हो चले हैं।
एक सूत्र ने बताया, "पिछले एक-दो हफ्ते में कंपनी में जिस तरह से चीजें सामने आई हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कंपनी में कोलाडिया की हिस्सेदारी और पिछले एग्रीमेंट को लेकर और अधिक विवाद होने वाला है। अशनीर के पास करीब 8-9 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसमें से 4 फीसदी हिस्सेदारी कोलाडिया की होगी। कोलाडिया और नकरानी के बीच में भी ऐसा ही समझौता है।"
ग्रोवर के करीबी सूत्रों ने बताया कि जिस तरह से उन्हें बेवजह कंपनी से निकाला गया है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है वह आसानी से कंपनी में अपनी हिस्सेदारी छोड़ने वाले नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि सभी सूत्र ने यह बात कही कि कोलडिया की इस समय कंपनी में हिस्सेदारी है, इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।