भाविक कोलाडिया के पास कंपनी की करीब 5.75 फीसदी हिस्सेदारी है
फिनटेक फर्म भारतपे (BharatPe) के को-फाउंडर भाविक कोलाडिया (Bhavik Koladiya) ने कंपनी छोड़ दी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलाडिया ने कंपनी के मैनेजमेंट से असहमति का हवाला देते हुए फर्म से अपना नाता तोड़ा है। हालांकि वह भारतपे में अपना निवेश आगे भी बनाए रखेंगे।
भाविक कोलाडिया, कंपनी के प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी ऑपरेशंस को देखते थे और कंपनी के दस्तावेजों पर वह उसके साथ बतौर कंसल्टेंट जुड़े हुए थे। रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से बताया गया, "कंपनी के सीईओ सुहैल समीर (Suhail Sameer) से असहमति के चलते भाविक जून के आखिरी हफ्ते में BharatPe से अलग हो गए।"
इससे पहले मार्च में जब भारतपे के एक और को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover), करीब 3 महीने के लंबे विवाद के बाद कंपनी से अलग हुए थे, तब कोलाडिया ने अपने हिस्से के शेयर अशनीर से वापस पाने के लिए उन पर आपराधिक केस करने का फैसला किया था। उस वक्त कंपनी के निवेशकों ने भी कोलाडिया को भरोसा दिया था कि वे इस लड़ाई में उनका बाहर से समर्थन करेंगे।
हालांकि इससे पहले की कोलाडिया दिल्ली की एक कोर्ट में याचिका डालते, कंपनी ने उन्हें यह कहते हुए अशनीर ग्रोवर के खिलाफ केस करने से मना कर दिया कि 'वे अशनीर के एक साथ एक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।' बता दें अशनीर ग्रोवर को वित्तीय अनियमितता के आरोप लगने के बाद कंपनी छोड़ने के लिए कहा गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने कोलाडिया को कहा कि आपको एक शेयरहोल्डर के खिलाफ कानूनी मुकदमा नहीं दाखिल करना चाहिए। कंपनी अशनीर के साथ एक समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रही है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि इस बातचीत के बाद कोलाडिया ने BharatPe के साथ अपना रिश्ता खत्म करने का फैसला किया।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सुहैल समीर के साथ असहमति के अलावा भाविक कोलाडिया ने BharatPe से हटकर कुछ और शुरू करने का भी मन बना लिया है और यह भी उनके कंपनी से अलग होने का एक कारण है।
BharatPe के मूल फाउंडर है भाविक कोलाडिया
बता दें कि भाविक कोलाडिया को BharatPe का मूल फाउंडर कहा जाता है। उन्होंने मार्च 2018 में शाश्वत नकारानी (जो उस वक्त आईआईटी-दिल्ली में पढ़ रहे थे) के साथ मिलकर BharatPe शुरू किया था और दोनों के पास कंपनी की 50-50% हिस्सेदारी थी। कोलाडिया शुरुआत में कंपनी के चेहरा थे और वह निवेशकों के साथ फंडिंग को लेकर बातचीत करते थे।
कंपनी शुरू होने के 3 महीने बाद, जून 2018 में अशनीर ग्रोवर कंपनी के साथ तीसरे को-फाउंडर के रूप में जुड़े। ग्रोवर के जुड़ने के साथ कंपनी का शेयरहोल्डिंग पैटर्न भी बदल गया। अशनीर ग्रोवर को 32 फीसदी और नकरानी को 25.5 फीसदी हिस्सेदारी मिली। हालांकि भाविक कोलाडिया करीब 42.5 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर बने रहे।
अशनीर ग्रोवर इस तरह बने कंपनी का चेहरा
हालांकि दिसंबर 2018 में, जब सिकोइया कैपिटल ने कंपनी में निवेश किया, तब भाविक कोलाडिया का नाम कंपनी के फाउंडरों की लिस्ट से हट गया। दरअसल भाविक को अमेरिका की एक कोर्ट ने एक क्रेडिट कार्ड फ्रॉड मामले में 2015 में दोषी ठहराया था। सिकोइया ऐसी किसी कंपनी में नहीं निवेश करना चाहती थी, जिसके फाउंडर को किसी मामले में कोर्ट ने दोषी ठहराया हो। ऐसे में भाविक का नाम फाउंडर्स की लिस्ट से हट गया और अशनीर ग्रोवर कंपनी का नया चेहरा बन गए।
हालांकि भाविक कोलाडिया अभी भी तकनीकी रूप से कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर बने थे। दरअसल भाविक की हिस्सेदारी को अशनीर और शाश्वत नकरानी के बीच बांट दी गई थी। दूसरे निवेशकों के आने के साथ फाउंडर्स की हिस्सेदारी घटती चली गई, लेकिन आज भी भाविक के पास कंपनी की करीब 5.75 फीसदी हिस्सेदारी है, जो अशनीर और नकरानी में बंटी है।
अशनीर के पास है भाविक की 3.5 फीसदी हिस्सदारी
अशनीर ग्रोवर के पास कंपनी की जो 8.4 फीसदी हिस्सेदारी है, उसमें 3.5 फीसदी स्टेक कोलाडिया का है। इसी तरह शाश्वत नकरानी के पास भाविक की 2.25 फीसदी हिस्सेदारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शाश्वत नकरानी ने भाविक कोलाडिया की हिस्सेदारी उन्हें ट्रांसफर कर दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अशनीर ग्रोवर ने कुछ हफ्ते पहले BharatPe के साथ विवाद को सुलझाने पर सहमति भरी थी, लेकिन वह भाविक कोलाडिया की हिस्सेदारी के साथ क्या करेंगे, इसे लेकर उन्होंने चुप्पी साध रखी थी। इसके चलते बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई।