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बायजू रवींद्रन को बड़ी राहत, NCLAT ने BCCI के साथ सेटलमेंट प्लान की अनुमति दी

NCLAT ने बायजूज को अब दिवालिया प्रक्रिया से बाहर आने की अनुमति दे दी है। दरअसल बायजूज और BCCI के बीच सेटलमेंट को NCLAT की अनुमति मिल गई है। सेटलमेंट के लिए बायजूज के फाउंडर बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रवींद्रन ने पैसा दिया है। NCLAT ने यह भी कहा है कि अगर बायजूज पेमेंट की शर्तों का उल्लंघन करती है, तो BCCI दोबारा बायजूज को इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया में ले जा सकती है

अपडेटेड Aug 02, 2024 पर 6:00 PM
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बायजूज के वकील ने कोर्ट से कहा था कि कंपनी BCCI को 9 अगस्त तक भुगतान करेगी।

NCLAT ने बायजूज (Byju's) को अब दिवालिया प्रक्रिया से बाहर आने की अनुमति दे दी है। दरअसल बायजूज और BCCI के बीच सेटलमेंट को NCLAT की अनुमति मिल गई है। सेटलमेंट के लिए बायजूज के फाउंडर बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रवींद्रन ने पैसा दिया है।

NCLAT ने यह भी कहा है कि अगर बायजूज पेमेंट की शर्तों का उल्लंघन करती है, तो BCCI दोबारा बायजूज को इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया में ले जा सकती है। इससे पहले 31 जुलाई को NCLAT में हुई सुनवाई में दोनों पक्षों के वकील ने दोनों इकाइयों के बीच जारी बातचीत के बारे में बताया था। सुनवाई में बायजूज के वकील ने कोर्ट से कहा था कि कंपनी BCCI को 9 अगस्त तक भुगतान करेगी।

NCLAT ने कहा, 'मौजूदा आश्वसान और हलफनामे के मद्देनजर सेटलमेंट को मंजूरी दे दी गई है। अपील को स्वीकार किया जाता है। हालांकि, यह चेतावनी भी दी जाती है कि अगर आश्वसान का पालन नहीं होता है, तो इंसॉल्वेंसी ऑर्डर पर फिर से आगे बढ़ना होगा।' अपीलेट ट्राइब्यूनल का कहना था कि सेटलमेंट कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) के गठन के पहले हुआ और सेटलमेंट से जुड़ी रकम का स्रोत विवादों में नहीं है, लिहाजा कंपनी को इंसॉल्वेंसी प्रोसेस के तहत रखने की कोई वजह नहीं है।


कंपनी का कंट्रोल अब एक बार फिर से बायजू रवींद्रन के पास होगा, क्योंकि NCLAT ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) के उस ऑर्डर को सस्पेंड कर दिया है, जिसमें कंपनी के लिए इंसॉल्वेंसी प्रोसेस शुरू करने को मंजूरी दी गई थी। अपीलेट ट्राइब्यूनल ने अमेरिकी लेनदारों के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सेटलमेंट में 'गड़बड़ी' है।

बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रवींद्रन ने BCCI को 158 करोड़ रुपये देने पर सहमति जताई थी। उनके वकील पुनीत बाली ने 1 अगस्त को हलफनामा दायर कर कहा कि वह BCCI को जिस रकम का भुगतान कर रहे हैं, वह उनके निजी फंड से हैं और उन्हें यह रकम 2015 से 2022 के दौरान 'थिंक एंड लर्न' के शेयरों की बिक्री से हासिल हुई है। इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) 2016 के मुताबिक, अगर कंपनी के लिए इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस की मंजूरी मिलने पर मौजूदा बोर्ड का कंपनी पर से कंट्रोल हट जाता है।

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