भारत के फिनेटक सेक्टर में 30 कंपनियां भविष्य में यूनिकॉर्न बन सकती हैं। इस सेक्टर में कंज्यूमर लेंडिंग सबसे प्रमुख सबकैटगरी उभरकर सामने आई है। हुरून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भविष्य की आधी से ज्यादा फिनटेक यूनिकॉर्न इसी सबकैटेगरी की होंगी।
भारत के फिनेटक सेक्टर में 30 कंपनियां भविष्य में यूनिकॉर्न बन सकती हैं। इस सेक्टर में कंज्यूमर लेंडिंग सबसे प्रमुख सबकैटगरी उभरकर सामने आई है। हुरून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भविष्य की आधी से ज्यादा फिनटेक यूनिकॉर्न इसी सबकैटेगरी की होंगी।
भारत में भविष्य की यूनिकॉर्न कंपनियों का कुल वर्थ 58 अरब डॉलर होगा,जो पिछले साल के मुकाबले 1.2 पर्सेंट ज्यादा होगा। यूनिकॉर्न वैसी स्टार्टअप को कहते हैं, जिसका वैल्यूएशन 1अरब डॉलर से ज्यादा हो और जो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड नहीं है।
इस साल की रिपोर्ट में मौजूद फिनटेक स्टार्ट-अप्स ने कुल 5.7 अरब डॉलर रुपये जुटाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि फिनटेक कंपनियों की पोजिशन काफी मजबूत है और भविष्य की यूनिकॉर्न में इन कंपनियों की अच्छीखासी हिस्सेदारी होगी।
कुल यूनिकॉर्न में इस सेक्टर की कंपनियों की हिस्सेदारी 20 पर्सेंट रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में यूनिकॉर्न ऐसी स्टार्टअप को बताया गया है, जिनकी मौजूदगी साल 2000 के बाद से है और जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर से ज्यादा है। गैजेल (Gazelle) कैटगरी की स्टार्टअप ऐसी कंपनियों को कहा जाता है, जिनके अगले 3 साल में यूनिकॉर्न हो जाने की संभावना है, जबकि चीता (Cheetah) कैटगरी की स्टार्टअप अगले 5 साल में यूनिकॉर्न बन सकती हैं।
हुरून की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिकॉर्न की संभावना वाला दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर SaaS (सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस) है, जिसमें 20 स्टार्टअप के यूनिकॉर्न बनने की संभावना है। SaaS स्टार्टअप्स ने सामूहिक रूप से 2.1 अरब डॉलर का फंड जुटाया है, जो इस सेक्टर की ग्रोथ को लेकर निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। इसके बाद ई-कॉमर्स सेक्टर में भविष्य में 15 यूनिकॉर्न बन सकते हैं, जिनकी कुल वैल्यू फिलहाल 6 अरब डॉलर है। ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स ने कुल 2.4 अरब डॉलर जुटाए हैं।
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