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स्टार्टअप्स में निवेश करने के लिए टैक्स संबंधी क्षतिपूर्ति का भरोसा चाहते हैं फॉरेन इनवेस्टर्स

फॉरेन प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल फंड देश की स्टार्टअप्स से टैक्स संबंधी रेगुलेटरी जोखिमों की क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं। कानूनी जानकारों का कहना है कि डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स नोटिस मिलने का सिलसिला तेज होने के बाद ये फंड टैक्स संबंधी क्षतिपूर्ति के प्रावधान की मांग करने लगे हैं। क्षतिपूर्ति के प्रावधान का मकसद स्टार्टअप्स को अचानक से टैक्स नोटिस मिलने की सूरत में निवेशकों को रेवेन्यू संबंधी नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करना है

अपडेटेड Aug 09, 2024 पर 3:39 PM
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कानूनी जानकारों के मुताबिक, इस तरह के प्रावधान का मकसद कंपनियों द्वारा निवेशकों के लिए सही टैक्स अनुमान सुनिश्चित करना है।

फॉरेन प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल फंड देश की स्टार्टअप्स से टैक्स संबंधी रेगुलेटरी जोखिमों की क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं। कानूनी जानकारों का कहना है कि डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स नोटिस मिलने का सिलसिला तेज होने के बाद ये फंड टैक्स संबंधी क्षतिपूर्ति के प्रावधान की मांग करने लगे हैं। क्षतिपूर्ति के प्रावधान का मकसद स्टार्टअप्स को अचानक से टैक्स नोटिस मिलने की सूरत में निवेशकों को रेवेन्यू संबंधी नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करना है।

हाल तक इनवेस्टमेंट कॉन्ट्रैक्ट्स में सामान्य तौर पर क्षतिपूर्ति का प्रावधान होता था, जो कंपनी में अचानक होने वाले घटनाक्रम पर लागू होता था। हालांकि, प्राइवेट इक्विटी फंड और वेंचर कैपिटल फंड टैक्स संबंधी क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं। बॉम्बे लॉ चैंबर्स में पार्टनर अभय शर्मा ने बताया, 'टैक्स की क्षतिपूर्ति से जुड़े प्रावधान धीरे-धीरे व्यापक होते जा रहे हैं और इससे जुड़ी रकम में भी बढ़ोतरी हो रही है। इंडियन मार्केट में टैक्स इंश्योरेंस का भी प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है और डील से संबंधित पक्षों का मकसद क्षतिपूर्ति से जुड़े मजबूत प्रावधान सुनिश्चित करना है।

कानूनी जानकारों के मुताबिक, इस तरह के प्रावधान का मकसद कंपनियों द्वारा निवेशकों के लिए सही टैक्स अनुमान सुनिश्चित करना है, ताकि टैक्स के मोर्चे पर बेहतर तरीके से कंप्लायंस हो सके। पिछले कुछ वर्षों में कई स्टार्टअप्स को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST), एंजल टैक्स और अन्य डायरेक्ट टैक्स के मामले में कई स्टाअप्स को नोटिस मिल चुके हैं। आम तौर पर ये नोटिस उन मामलों में मिले हैं, जहां नॉन-रेजिडेंट इनवेस्टर्स द्वारा कंपनी से बाहर निकलते वक्त विदहोल्डिंग टैक्स इकट्ठा करने की जरूरत होती है।


केंद्र सरकार ने बजट 2024 में विवादस्पद एंजेल टैक्स को खत्म कर दिया है। यह टैक्स आगे की तारीख से खत्म किया गया है। इसका मतलब यह है कि मौजूदा टैक्स डिमांड वापस नहीं लिए गए हैं, लेकिन भविष्य में ऐसे टैक्स संबंधी कोई मांग नहीं होगी।

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