Byju’s Rise to Fall: देश की सबसे बड़ी एडुटेक कंपनी बायजू (Byju’s) के लिए यह साल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। इस साल की शुरुआत में कंपनी अमेरिका में लिस्ट होने यानी आईपीओ लाने की तैयारी कर रही थी और अब साल गुजरने के साथ-साथ यह निगेटिव वजहों से चर्चा में है। एक ही साल में यह अर्श से फर्श पर आ गई। इस साल की शुरुआत में कैलिफोर्निया के सैन डियागो में एक एडुटेक इंवेस्टर ने इक कांफ्रेंस आयोजित किया था जिसमें बायजू के फाउंडर बायजू रवींद्रन (Byju Raveendran) और उनकी पत्नी और को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ भी शामिल थे। इस कांफ्रेंस में लगभग सभी एडुटेक फाउंडर्स उपस्थित थे।
अन्य एडुटेक फाउंडर्स के पहुंचने से पहले रवींद्रन वहां पहुंच चुके थे और आईपीओ की योजना को लेकर इंवेस्टमेंट बैंकर्स, निवशकों और सरकारी अधिकारियों से मुलाकात कर रहे थे। कांफ्रेंस में उपस्थित एक एडुटेक फाउंडर के मुताबिक अगर यह आईपीओ आ जाता तो देश की एडुटेक कंपनियों के लिए शानदार मौका होता। हालांकि फिर सब पटरी से उतर गया और आईपीओ लाने की तैयारी कर रही 2200 करोड़ डॉलर की कंपनी अब अकाउंटिंग से जुड़ी अनियमितताएं, गलत कोर्सेज बेचने और बड़े पैमाने पर छंटनी के चलते खबरों में है।
मार्च तक सब बढ़िया रहा बायजू के लिए
बायजू के लिए मार्च तक सब बढ़िया चला। कोरोना महामारी और ऑनलाइन लर्निंग सर्विसेज की बढ़ती मांग के चलते एडुटेक सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा था। हालांकि कोरोना की तीसरी लहर के धीमे पड़ने के चलते ऑफलाइन सेंटर्स खुलने लगे तो ऑनलाइन लर्निंग सर्विसेज सुस्त हुई। इससे निपटने के लिए बायजू ने पहले ही तैयारी कर ली थी और फरवरी में कंपनी ने देश भर में ट्यूशन सेंटर्स खोलने के लिए 20 करोड़ डॉलर के निवेश का ऐलान किया।
मार्च में इसने भारी-भरकम फंड इकट्ठा किया और इसकी वैल्यू 2200 करोड़ डॉलर पर पहुंच गई और यह देश की सबसे अधिक वैल्यू वाली स्टार्टअप बन गई। कंपनी ने फीफा वर्ल्ड कप के साथ करोड़ो डॉलर का सौदा किया। हालांकि फिर सब बिखरता चला गया।
मई में बायजू को लेकर द मार्निंग कांटेक्स्ट में एक खबर आई कि यह ट्रेड रिसीवेबल्स को बेच रही थी। इसकी बिक्री का मतलब होता है कि कंपनी को तत्काल नगदी की जरूरत है। यहीं से बायजू के लिए स्थितियां बिगड़नी शुरू हुई, नहीं तो इसके ठीक पहले कंपनी ने 80 करोड़ डॉलर जुटाने का ऐलान किया था। रिपोर्ट के मुताबिक बायजू ने 2019 से लेकर अब तक आठ किश्त में ऐसे रिसीवेबल्स बेचे हैं। एक एडुटेक फाउंडर के मुताबिक बायजू ने ऐसा किया, यह सोचना भी मुश्किल था क्योंकि उसने भारी फंड जुटाया था। हालांकि ऐसा हुआ तो इसका मतलब है कि सब कुछ ठीक नहीं है।
ट्रेड रिसीवेबल्स के बिक्री की रिपोर्ट के अगले महीने द केन में एक न्यूज पब्लिश हुई कि बायजू के ऑडिटर डेलॉयट ने वित्त वर्ष 2020-21 के इसके वित्तीय नतीजे पर साइन करने से इनकार कर दिया। डेलॉयट को बायजू के रेवेन्यू घोषित करने के तरीकों पर आपत्ति थी। बायजू ने कहा कि जून 2022 के आखिरी तक वह नतीजे फाइल कर देगी लेकिन यह नहीं हो सका। वित्त वर्ष 2021 के ऑडिट रिजल्ट्स में देरी पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने जुलाई में सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस (SIFO) को जांच के लिए लिखा।
अगस्त में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने भी इसे लेकर बायजू से जवाब मांगा। आखिरकार बायजू ने सितंबर के मध्य में इसे जारी किया लेकिन इसे लेकर फिर वही सवाल उठने लगे जो डेलॉयट ने उठाए थे। कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 के नतीजे अभी तक फाइल नहीं किया है जो कॉरपोरेट मंत्रालय के गाइडलाइंस के मुताबिक सितंबर 2022 तक हो जाना चाहिए था।
मार्च में बायजू ने 2200 करोड़ डॉलर के वैल्यूएशन पर 80 करोड़ डॉलर जुटाने का ऐलान किया था। हालांकि कंपनी इतना फंड जुटा नहीं पाई। मैक्रोइकोनॉमिक चुनौतियों के चलते दिग्गज निवेशकों ने फंडिंग राउंड में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। अगर कंपनी इन दो निवेशकों से फंड जुटा लेती तो इसे 30 करोड़ डॉलर मिलते। अक्टूबर में कंपनी ने प्राइमरी फंडिंग के जरिए 25 करोड़ डॉलर जुटाए लेकिन वैल्यूएशन फ्लैट रहा। इसके बाद कंपनी ने अक्टूबर में 1100-1200 करोड़ डॉलर के वैल्यूएशन पर फंड जुटाने का ऑफर दिया।
निवेशकों, मीडिया, ऑडिटर्स, लेनदारों और सरकार की तरफ से दबाव के बीच कंपनी के लिए सामान्य रूप से कारोबार चलाना मुश्किल हो गया। इसे कर्मियों और ग्राहकों की तरफ से भी खासा दबाव झेलना पड़ा। इसे कर्मियों और ग्राहकों के साथ गलत व्यवहार के चलते आलोचनाएं झेलनी पड़ीं। बायजू को कुछ मामलों में कंज्यूमर कोर्ट में जूझना पड़ा और मुआवजा देना पड़ा।
इस महीने कंपनी में खराब माहौल और गरीब परिवारों को झांसा देने की कंपनी की रणनीति का थामसन रायटर्स ग्रुप की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ। इसे लेकर नेशनल कमीशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने कंपनी को समन भी भेजा। इसके बाद कंपनी को अपनी रिफंड पॉलिसी बदलनी पड़ी और कंपनी 25 हजार रुपये से कम मासिक आय वाले परिवारों को अपने कोर्स की बिक्री बंद करने पर सहमत हुई।