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Byju's को सुप्रीम कोर्ट से झटका, BCCI के साथ सेटलमेंट पर अदालत ने लगाई रोक 

एडुटेक कंपनी बायजूज को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। अदालत ने 14 अगस्त को NCLAT के उस ऑर्डर पर रोक लगा दी, जिसमें एडुटेक कंपनी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच हुए सेटलमेंट की अनुमति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि BCCI को जिस रकम का भुगतान किया गया है, वह एक अलग एस्क्रो एकाउंट में रखा जाएगा

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 14, 2024 पर 2:18 PM
Byju's को सुप्रीम कोर्ट से झटका, BCCI के साथ सेटलमेंट पर अदालत ने लगाई रोक 
बायजूज के कर्जदाताओं ने NCLAT के ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।

Setback for Byju's: एडुटेक कंपनी बायजूज को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। अदालत ने 14 अगस्त को NCLAT के उस ऑर्डर पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिसमें एडुटेक कंपनी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच हुए सेटलमेंट की अनुमति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि BCCI को जिस रकम का भुगतान किया गया है, वह एक अलग एस्क्रो एकाउंट में रखा जाएगा।

बायजूज के कर्जदाताओं (लेंडर्स) ने अमेरिकी इकाई ग्लास ट्रस्ट की अगुवाई में 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। इस अपील में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल ( NCLAT) के उस फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें बायजूज और BCCI को भुगतान के सेटलमेंट की अनुमति दी गई थी।

चीफ जस्टिस ने कहा, 'अगले आदेश तक इस पर रोक जारी रहेगी।' इस बीच, BCCI को सेटलमेंट के तौर पर जो 158 करोड़ रुपये मिले हैं, उसे अलग खाते में रखा जाएगा।' सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने BCCI की तरफ से पेश होते हुए NCLAT के ऑर्डर के खिलाफ दायर अपील का विरोध किया। उन्होंने कहा, 'फिलहाल रोक का मतलब है कि हमारा सेटलमेंट जारी रहेगा। हम अदालत को इसके लिए राजी करने की कोशिश कर रहे हैं।'

इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी। बायजूज के अमेरिकी कर्जदाता ग्लास ट्रस्ट का कहना है कि बायजूज ने जो 158 करोड़ रुपये चुकाने पर सहमति जताई है, वह गलत स्रोतों से जुटाई गई है। बाजजूज के भाई और शेयरहोल्डर रिजू रवींद्रन ने अपने पर्सनल फंड से इस बकाया रकम को चुकाने पर सहमति जताई थी। रिजू रवींद्रन के मुताबिक, उन्हें यह रकम 2015 से 2022 के दौरान थिंक एंड लर्न के शेयरों की बिक्री से हासिल हुई थी।

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