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FPI फिर बने सेलर, नवंबर में भारतीय शेयरों से निकाले ₹3765 करोड़; किन कारणों से मोह भंग

FPI Selling: साल 2025 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयरों से 1.43 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले हैं। सितंबर में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Nov 30, 2025 पर 3:46 PM
FPI फिर बने सेलर, नवंबर में भारतीय शेयरों से निकाले ₹3765 करोड़; किन कारणों से मोह भंग

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजार में फिर से सेलर बन गए हैं। FPI ने नवंबर में भारतीय शेयरों से 3,765 करोड़ रुपये निकाले। ऐसा वैश्विक स्तर पर जोखिम लेने की क्षमता में कमी, टेक्नोलॉजी शेयरों में उतार-चढ़ाव और प्राइमरी मार्केट को प्राथमिकता देने की वजह से हुआ। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले अक्टूबर में FPI ने भारतीय शेयर बाजार में 14,610 करोड़ रुपये डाले थे। वहीं सितंबर में उन्होंने 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।

साल 2025 में अब तक FPI ने शेयरों से 1.43 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले हैं। इस बीच डेट या बॉन्ड बाजार में FPI ने सामान्य सीमा के तहत 8,114 करोड़ रुपये इनवेस्ट किए हैं। वहीं वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 5,053 करोड़ रुपये निकाले हैं।

एक्सपर्ट्स की क्या है राय

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया में प्रिंसिपल, मैनेजर रिसर्च, हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है, ‘‘वैश्विक मोर्चे पर फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती के रुख को लेकर अनिश्चितता, डॉलर में मजबूती, उभरते बाजारों में जोखिम लेने की क्षमता कमजोर होने से विदेशी निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया। भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से भी FPI की धारणा प्रभावित हुई। देश के अंदर बढ़े हुए वैल्यूएशंस और इंडस्ट्रियल सेगमेंट की धीमी ग्रोथ भी वजह रहे।’’

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