Startup News: आईटी सेक्टर में इस साल 2023 में माहौल कैसा है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि इस साल कोई भी सॉफ्टवेयर-ऐज-ए-सर्विसज (SaaS) स्टार्टअप अब तक यूनिकॉर्न नहीं बन सका है। यूनिकॉर्न का मतलब ऐसा स्टार्टअप है जिसका वैल्यूएशन 100 करोड़ डॉलर यानी 1 बिलियन डॉलर के पार पहुंच जाए। पिछले साल इतने समय में ही नौ स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गए थे। वेंचर कैपिटल Bessemer Venture Partners की रिपोर्ट ‘Rise of SaaS in India 2023’ के मुताबिक पिछले साल अमागी (Amagi), यूबी (Yubi), लीडस्क्वॉर्ड (LeadSquared), शिपरॉकेट (ShipRocket), ड्राईनबॉक्स (DarwinBox), यूनीफोर (Uniphore), कॉमर्सआईक्यू (CommerceIQ) और हासुरा (Hasura) यूनिकॉर्न बने थे। यह रिपोर्ट आज जारी हुई है।
लेकिन एक पॉजिटिव संकेत भी है
इस साल सख्त फंडिंग माहौल और कठिन मैक्रो इकनॉमिक परिस्थितियों के चलते कोई भी SaaS स्टार्टअप यूनिकॉर्न नहीं बन पाई। हालांकि Bessemer के पार्टनर अनंत विदुर पुरी का कहना है कि तीन नए सेंटॉर्स जरूर हैं। सेंटॉर्स का मतलब ऐसे कारोबार से है जिसका एनुअल रिकरिंग रेवन्यू (ARR) 10 करोड़ डॉलर यानी 100 मिलियन डॉलर पर पहुंच जाए। इसे देखते हुए अनंत का कहना है कि फंडामेंटल इकोसिस्टम बहुत मजबूती से आगे बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 100 मिलियन डॉलर से अधिक एआरआर वाली कंपनियों की संख्या 2022 में नौ के मुकाबले 2023 में 11 हो गई। 50-100 मिलियन एआरआर वाली कंपनियां पिछले साल 12 से बढ़कर 2023 में 16 हो गईं।
SaaS इंडस्ट्री को इस साल फंडिंग की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस साल की पहली छमाही में निवेश एक साल पहले के 340.6 करोड़ डॉलर से 81 फीसदी गिरकर 63.5 करोड़ डॉलर पर आ गया। हालांकि अब Bessemer की रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक एनुअल रिकरिंग रेवेन्यू (ARR) के टर्म में इसका मार्केट मौजूदा 13-25 बिलियन डॉलर से बढ़कर 50 बिलियन डॉलर यानी 5 हजार करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। अनंत का कहना है कि SaaS इकोसिस्टम तेजी से परिपक्व हो रहा है और बढ़ रहा है। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो निवेशक हाई एफिशिएंसी वाले कारोबार की तरफ भागते हैं और एफिशिएंसी ही स्थायी ग्रोथ का मानक है।
रिपोर्ट के मुताबिक SaaS की मौजूदा दिग्गज कंपनियां और यूनिकॉर्न का रेवेन्यू इस साल 2200 बिलियन डॉलर बढ़ेगा। इसके अलावा यूपीआई के दम पर इंडियन पेमेंट्स का मार्केट बढ़कर 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। अनंत का कहना है कि यूपीआई इंफ्रास्ट्रक्चर पर बने AdvaRisk, Card91 और M2P जैसे SaaS को यूपीआई की ग्रोथ से सपोर्ट मिलेगा।