भारतपे और सेंट्रम ग्रुप यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFB) में अपनी हिस्सेदारी घटाने के बारे में सोच रहे हैं। उनका मकसद इससे 13-15 करोड़ डॉलर जुटाना है। मामले से जुड़े सूत्रों ने इस बारे में मनीकंट्रोल को बताया है। एक सूत्र ने कहा कि भारतपे यूनिटी एसएफबी में अपनी हिस्सेदारी करीब 25-26 फीसदी तक घटा सकती है। यूनिटी एसएफबी ने इस बारे में कुछ बताने से इनकार कर दिया। भारतपे ने भी इस खबर को सही नहीं बताया।
Unity SFB में BharatPe की 49 फीसदी हिस्सेदारी
भारतपे के प्रवक्ता ने ईमेल से दिए जवाब में कहा, "यूनिटी बैंक में भारतपे के हिस्सेदारी बेचने की खबर पूरी तरह से गलत है। हम इससे इनकार करते हैं और मीडिया से अपील करते हैं कि उसे ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।" Unity SFB में BharatPe की 49 फीसदी हिस्सेदारी है। बाकी 51 फीसदी हिस्सेदारी जसपाल बिंद्रा की अगुवाई वाले सेंट्रम ग्रुप की है।
हिस्सेदारी बेचने के लिए आरबीआई की मंजूरी जरूरी
उम्मीद है कि यूनिटी एसएफबी में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो जाएगी। इस बारे में इनवेस्टमेंट बैंक की नियुक्ति के लिए बातचीत चल रही है। इस एसएफबी में हिस्सेदारी बेचने के ट्रांजेक्शन के लिए RBI की मंजूरी जरूरी है। एक सूत्र ने कहा, "फिनटेक कंपनी अपने ग्रोथ प्लान के लिए फंड जुटाने की कोशिश कर रही है। खासकर उसे अपने लेंडिंग बिजनेस ट्रिलियन लोंस (Trillion Loans) के लिए पैसे की जरूरत है।"
भारतपे अपने कर्ज बिजनेस को बढ़ा रही है
BharatPe ने मुंबई की एनबीएफसी ट्रिलियंस लोंस में बड़ी हिस्सेदारी मई 2023 में खरीदी थी। इसका मकसद लेंडिंग बिजनेस का विस्तार करना था। भारतपे इसके फाउंडर अशनीर ग्रोवर के कंपनी छोड़ने के बाद से फिर से अपने कामकाज को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है। ग्रोवर पर घाटाले का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें मार्च 2022 में कंपनी छोड़ने को मजबूर होना पड़ा।
मुनाफे में आ चुकी है भारतपे
भारतपे ने नवंबर 2023 में कहा था कि वह पांच साल के ऑपरेशंस के बाद मुनाफे में आ गई है। उसने बताया कि वह अक्टूबर 2023 में इबिड्टा-पॉजिटिव हो गई है। उसका सालान रेवेन्यू 1,500 करोड़ रुपये था। कंपनी के लेंडिंग और पेमेंट बिजनेस में स्ट्रॉन्ग ग्रोथ दिखी थी।
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2021 में हुई थी एसएफबी की शुरुआत
Unity SFB की शुरुआत 2021 में तब हुई थी, जब आरबीआई ने मुश्किल में घिरे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक के रिवाइवल प्लान को मंजूरी दी थी। इससे पीएमसी बैंक के डिपॉजिटर्स को करीब दो साल बाद राहत मिली थी। रीस्ट्रक्चरिंग प्रोसेस के तहत एक तरह से पीएमसी बैंक को यूनिटी एसएफबी में कनवर्ट कर दिया गया था। 2019 में पीएमसी बैंक दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया था।