माइनिंग मुगल कहे जाने वाली वेदांता (Vedanta) के मालिक अनिल अग्रवाल आक्रामक तरीके से अपनी योजना पर आगे बढ़ रहे हैं। उनकी योजना तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने, जिंक और एलुमिनियम जैसे मेटल्स का आउटपुट अधिक करने और चिप बनाने की है और इन सभी को लेकर वह सुस्त नहीं बल्कि आक्रामक रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे हैं। वह कंपनी के कर्जों को लेकर भी प्रभावित नहीं दिख रहे हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि माइनिंग से देश की आर्थिक स्थिति स्थिति और मजबूत होगी क्योंकि इससे न सिर्फ आयात पर निर्भरता कम होगी बल्कि रोजगार के मौके बढ़ेंगे और समृद्धि भी।
अनिल अग्रवाल ने बताया कि कंपनी की योजना दो साल में 3 लाख बैरल तेल और गैस निकालने की है। वहीं चार से पांच साल में यह लक्ष्य 5 लाख बैरल का है। वित्त वर्ष 2023 में कंपनी ने 1,42,615 बैरल तेल और तेल के समान गैस निकाला था और इसमें से अधिक राजस्थान में निकाला गया था। जिंक की मांग लगातार बढ़ रही है और वेदांता की योजना दक्षिण अफ्रीका और भारत में स्थित प्लांट से इसका उत्पादन तीन गुना बढ़ाकर 30 लाख टन करने की है। एलुमिनियम प्रोडक्शन को लेकर उन्होंने कहा कि सालाना यह 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। 2022-23 में कंपनी ने 23 लाख टन एलुमिनियम उत्पादित किया था।
इसके अलावा कंपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) और रिन्यूएबल एनर्जी के लिए बैटरी और पैनल बनाने में अहम मेटल लीथियम और कोबाल्ट को लेकर भी आगे बढ़ रही है। अग्रवाल का कहना है कि बिना इन मेटल्स के देश समृद्ध नहीं हो सकता है। कंपनी चिप और डिस्प्ले फैब्स बनाने की तैयारी कर रही है यानी इस कारोबार में एंट्री कर रही है। अग्रवाल ने बताया कि गुजरात में प्लान्ड फैक्ट्री से पहला चिप ढाई साल में निकल सकता है। वेदांता का लक्ष्य 2030 तक 10 हजार करोड़ डॉलर की कंपनी बनने की है। फिलहाल यह 2000 करोड़ डॉलर की कंपनी है और अब यह जिंक और तेल, गैस जैसे सेक्टर्स में नए निवेश के जरिए आगे बढ़ने का लक्ष्य रखा है।
कितनी अहम है वेदांता की योजना
वेदांता ने देश में चिप बनाने के लिए आईफोन कंपनी एपल की सप्लॉयर फॉक्सकॉन के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाया है। कंपनी की योजना चिप और डिस्प्ले मैनुफैक्चरिंग के अलग-अलग यूनिट्स बनाने के लिए 2 हजार करोड़ डॉलर के निवेश की योजना तैयार की है। भारत में चिप मार्केट 2026 कर 6300 करोड़ डॉलर का हो जाएगा जो दो साल पहले महज 1500 करोड़ डॉलर का था।
चिप की मांग दिनोंदिन बढ़ रही है और अगर यह देश में ही तैयार होता है तो इससे सप्लाई से जुड़ी चिंता भी खत्म हो जाएगी जैसा कि कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के दिनों में दिखा था। भारत तेल और गेस के आयात, इलेक्ट्रॉनिक्स और बाकी चीजों के आयात पर सालाना 3.6 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है तो ऐसे में अनिल अग्रवाल का कहना है कि अगर इसका प्रोडक्शन यहीं देश में ही हो तो काफी पैसा बाहर जाने से बचेगा। इससे देश की प्रति व्यक्ति आय भी 2000 डॉलर से बढ़कर 5000 डॉलर पर पहुंच सकती है।
कारोबार के अलाना क्या है Anil Agarwal की योजना
वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की सिर्फ कारोबारी योजना ही नहीं है। वह एक यूनिवर्सिटी शुरू करना चाहते हैं। इसके अलावा वह 8 करोड़ बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराकर कुपोषण की समस्या से निपटना चाहते हैं।