Wipro से इस्तीफा देकर ये 10 कंपनियां नहीं कर सकते जॉइन! हो सकता है मुकदमा; क्या है नियम

आमतौर पर कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जिनके एंप्लॉयीज एक को छोड़कर दूसरे में कुछ समय तक नहीं जा सकते हैं। ऐसा होने की स्थिति में कानूनी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसा ही एक मामला हाल-फिलहाल में आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी Wipro में पिछले साल टॉप लेवल के 10 से अधिक एग्जेक्यूटिव्स कंपनी छोड़कर प्रतिद्वंद्वी कंपनी में चल गए थे। अब इनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है

अपडेटेड Jan 07, 2024 पर 11:33 AM
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Wipro के सीनियर एग्जेक्यूटिव्स एसेंचर (Accenture), केपजेमिनी (Capgemini), कॉग्निजेंट (Cognizant), डेलॉयट (Deloitte), DXC (पूर्व नाम HP), HCLTech, IBM, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) में 12 महीने तक नहीं जा सकते हैं।

आमतौर पर कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जिनके एंप्लॉयीज एक को छोड़कर दूसरे में कुछ समय तक नहीं जा सकते हैं। ऐसा होने की स्थिति में कानूनी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसा ही एक मामला हाल-फिलहाल में आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो (Wipro) में सामने आया है।पिछले साल टॉप लेवल के 10 से अधिक एग्जेक्यूटिव्स कंपनी छोड़कर दूसरी कंपनी में चल गए थे। इनमें से विप्रो के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर जतिन दलाल (Jatin Dalal) और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मोहम्मद हक (Mohd Haque) प्रतिद्वंद्वी कंपनी कॉग्निजेंट (Cognizant) में चले गए। विप्रो ने अपने एंप्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट्स में नॉन-कंपीट क्लॉज के उल्लंघन के आधार पर इनके खिलाफ मुकदमा कर दिया है। ऐसे में सवाल ये उठता कि विप्रो के एंप्लॉयीज किन कंपनीज में नहीं जा सकते हैं और कब तक?

इन दस कंपनियों में नहीं जा सकते Wipro के एंप्लॉयीज

विप्रो ने जतिन दलाल के खिलाफ जो मुकदमा दायर किया है, उसकी कॉपी मनीकंट्रोल को मिली है। इसमें विप्रो ने दस अहम आईटी कंपनियों की सूची दी है जिसमें विप्रो के सीनियर एग्जेक्यूटिव्स नहीं जा सकते हैं। ये कंपनियां हैं एसेंचर (Accenture), केपजेमिनी (Capgemini), कॉग्निजेंट (Cognizant), डेलॉयट (Deloitte), DXC (पूर्व नाम HP), HCLTech, IBM, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टेक महिंद्रा (Tech Mahindra)। इन दस कंपनियों में विप्रो के एंप्लॉयीज कंपनी में अपने अंतिम वर्किंग डे से 12 महीने तक जॉब जॉइन नहीं कर सकते हैं। विप्रो का दावा है कि जतिन दलाल के साथ जो एंप्लॉयीज कॉन्ट्रैक्ट हुआ था, उसमें नॉन-कंपीट क्लॉज के तहत इन कंपनियों का नाम शामिल था। जतिन दलाल का विप्रो में अंतिम वर्किंग डे 30 नवंबर 2023 था।


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और भी पूर्व एंप्लॉयीज के खिलाफ कानूनी लड़ाई

विप्रो ने जतिन दलाल पर नॉन-कंपीट क्लॉज के उल्लंघन के मामले में मुकदमा किया हुआ है। कंपनी ने उनसे होने वाले नुकसान को लेकर 25.15 करोड़ रुपये के जुर्माने की मांग की है और जब तक यह पूरा मिल नहीं जाता है, 18 फीसदी की सालाना दर से ब्याज भी देना होगा। हाल ही में इस मामले में बंगलुरु सिटी सिविल कोर्ट ने इस मामले को आर्बिट्रेशन के पास भेज दिया। जतिन दलाल ने विप्रो में कार्यकाल के दौरान कंपनी के अधिग्रहणों, रणनीतियों और 10 करोड़ डॉलर और उससे अधिक की बड़ी डील से जुड़े फैसले में अहम भूमिका निभाते थे। वह विप्रो वेंचर्स के 30 करोड़ डॉलर के रणनीतिक फंड की निवेश समिति में भी थे, जो शुरुआती और मध्य चरण के स्टार्टअप में निवेश करता है।

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विप्रो ने जतिन दलाल के अलावा पूर्व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और हेल्थकेयर और मेडिकल डिवाइसेज के प्रमुख (अमेरिका) मोहम्मद हक के खिलाफ भी कानूनी रास्ता अपनाया है। हक ने भी कॉग्निजेंट ज्वाइन किया है। हक पर आरोप है कि उनके पास गोपनीय जानकारियों वाली सात फाइलें है, जो उनके निजी जीमेल खाते से भेजी गई थीं और विप्रो की आईटी टीम ने इसे नॉन-कंपीट क्लॉज के उल्लंघन के साथ फ्लैग किया था। कंपनी का यह भी दावा है कि ऐसी और भी फाइलें थीं जो अपलोड की गईं और कंपनी के बाहर उनके व्यक्तिगत ईमेल खाते पर भेजी गईं।

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