AI बताएगा फसल की सही बुवाई और कटाई का समय, मिट्टी और मौसम की देगा जानकारी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ दफ्तरों तक ही सीमित नहीं है। इसने आम लोगों और किसानों तक भी अपनी पहुंच बना ली है। पहले जहां ऑफिस कर्मचारियों के लिए AI मेल लिखने, प्रेजेंटेशन बनाने और कैलकुलेशन करने जैसे काम आसान बनाता था, वहीं अब यह तकनीक खेती-किसानी में भी किसानों का हाथ बटाने लगी है।

अपडेटेड Aug 26, 2025 पर 5:14 PM
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AI बताएगा फसल की सही बुवाई और कटाई का समय, मिट्टी और मौसम की देगा जानकारी

AI in Agriculture Farming: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ दफ्तरों तक ही सीमित नहीं है। इसने आम लोगों और किसानों तक भी अपनी पहुंच बना ली है। पहले जहां ऑफिस कर्मचारियों के लिए AI मेल लिखने, प्रेजेंटेशन बनाने और कैलकुलेशन करने जैसे काम आसान बनाता था, वहीं अब यह तकनीक खेती-किसानी में भी किसानों का हाथ बटाने लगी है। आज कई AI टूल्स उपलब्ध हैं जो किसानों को खेत की स्थिति का अनुमान लगाने, फसल की सही बुवाई और कटाई का समय तय करने, और खेती से जुड़े स्मार्ट सुझाव देने में मदद करते हैं। इन टूल्स का उपयोग करना आसान होगा क्योंकि यह किसानों की स्थानीय भाषा में संवाद कर सकते हैं।

गूगल ने खेती के लिए बनाया नया AI टूल

गूगल ने हाल ही में भारत के लिए नई AI तकनीकों का ऐलान किया है, जिसका मकसद खेती को और बेहतर बनाना और ग्रामीण किसानों को डिजिटल दुनिया से जोड़ना है। बता दें कि भारत की ग्रामीण आबादी का बड़ा हिस्सा खेती पर निर्भर है और इन्हीं किसानों के लिए AI तकनीक बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है।


ALU API (Agricultural Landscape Understanding)

यह एक AI टूल है, जो इस चीज की जानकारी देता है कि आपकी मिट्टी कैसी है और फसल के अनुरूप क्लाइमेट है या नहीं। साथ ही यह टूल ये भी बताता है कि बुवाई और कटाई के लिए कौन सा समय उचित रहेगा।

AMED API (Agricultural Monitoring and Event Detection)

AMED API टूल किसानों के लिए बेहद काम का साबित हो सकता है। यह खेत दर खेत डेटा देता है। यह बीते 3 साल का रिकॉर्ड रखता है। यह बताता है कि खेत का आकार कितना है और यह भी अंदाजा लगा देता है कि खेत में कितनी फसल हो सकती है। इसके साथ ही यह भी सुझाव देता है कि खेती में सुधार कैसे किया जा सकता है।

स्थानीय भाषा में बात करेंगे टूल्स

गूगल की योजना है कि ये टूल्स एग्रीटेक स्टार्टअप्स के माध्यम से सीधे किसानों तक पहुंचें, ताकि उपयोग सरल और आसान हो। कई किसान ऐसे हैं जो हिंदी या अंग्रेजी बोलना नहीं जानते या उन्हें समझ नहीं आती है। उनके लिए टूल स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करेगा। स्थानीय भाषा में संवाद करेंगे। इसके लिए गूगल IIT खड़गपुर के साथ मिलकर पूरे देश की लोकल भाषाओं का डेटा एकत्र कर रहा है, ताकि टूल्स किसानों से आसानी से बात कर सकें और पूरी तरह यूजर-फ्रेंडली हों।

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Ashwani Kumar Srivastava

Ashwani Kumar Srivastava

First Published: Aug 26, 2025 5:14 PM

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