देश की आम जनता और सरकार बढ़ती महंगाई से परेशान है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार बढ़ती महंगाई को रोकने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आटा और मैदा के एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकती है। इसी तरह सूजी के एक्सपोर्ट पर भी बैन संभव है। सूत्रों के मुताबिक सरकार कीमतें काबू में रखना चाहती है। इसी लिए ये सारी कवायद होती नजर आ सकती है।
देश में लगातार महंगाई बढ़ रही है। मई में देश में CPI 7.04 फीसदी और WPI 15.88 फीसदी पर रही है। अप्रैल 2022 में देश से 95094 टन आटे का एक्सपोर्ट हुआ है। पूरे FY22 में हर महीने करीब 50000 टन आटे का एक्सपोर्ट हुआ है। भारतीय गेहूं के आटे के दाम 350-400 डॉलर प्रति टन है। उधर सरकार तय लक्ष्य से 57 फीसदी कम गेहूं खरीद पाई है। अब तक सरकार ने 187 लाख टन गेहूं की खरीद की है। जबकि लक्ष्य 440 लाख टन गेहूं खरीदने का था।
आटे के एक्सपोर्ट पर नजर डालें तो अप्रैल 2022 में देश से 95094 टन आटे का एक्सपोर्ट हुआ। वहीं, वित्त वर्ष 2022 में देश से 5.66 लाख टन आटे का एक्सपोर्ट हुआ था। जबकि वित्त वर्ष 2021 में देश से 2.78 लाख टन आटे का एक्सपोर्ट हुआ था। वहीं, वित्त वर्ष 2020 में देश से 1.99 लाख टन आटे का एक्सपोर्ट हुआ था।
बता दें कि सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 में गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 फीसदी घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है, जो अनुमान पहले 11 करोड़ 13.2 लाख टन का लगाया गया था। अनुमान घटाने का कारण तय समय से पहले गर्मी की शुरुआत होने से गेहूं की फसल उत्पादकता का प्रभावित होना है। गर्मियों में भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में 10 करोड़ 95.9 लाख टन रहा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश ने 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थिति के कारण बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए भारत इस वित्तवर्ष में एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करना चाहता है।