ब्याज दरों में बढ़ोतरी का डर, कमोडिटी बाजार पर हुआ हावी: रवींद्र राव

जब तक अमेरिकी डॉलर की तुलना में दूसरी करेंसियां मजबूत नहीं होती हैं और चीन की कोविड स्थिति में सुधार नहीं होता है। तब तक कमोडिटी मार्केट में दबाव बना रहेगा

अपडेटेड Sep 03, 2022 पर 3:01 PM
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ताजे आकंड़ों से पता चलता है कि महंगाई अभी भी ऊंचे स्तरों पर बनी हुई है। वहीं इकोनॉमी पर दबाव बढ़ता दिख रहा है।

Ravindra Rao,VP - Head Commodity Research, Kotak Securities

कोटक सिक्योरिटीज के हेड ऑफ कमोडिटीज रवींद्र राव का कहना है कि कमोडिटी बाजार में इस हफ्ते कमजोरी कायम रहने के संकेत हैं। यूएस डॉलर में मजबूती अनिश्चतता भरे माहौल में कमोडिटी मार्केट पर भारी पड़ रही है। तमाम बैंकों के मौद्रिक नीतियों पर कठोर रुख और चीन में कोरोना से जुड़ी नई चिंता कमोडिटी मार्केट पर दबाव बना रही हैं। इन चुनौतियों के बीच कमोडिटी निवेशकों की नजर अगले हफ्ते होने वाली यूरोपियन सेंट्रल बैंक की बैठक पर है।

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यूरोपियन सेंटल बैंक में बैठक में लिए गए फैसले का असर यूएस फेड की 20 और 21 सितंबर को होने वाली मीटिंग पर भी देखने को मिल सकता है। मजबूत होते डॉलर और बढ़ते बॉन्ड यील्ड के बीच सोने का भाव लगातार तीसरे हफ्ते 1700 डॉलर प्रति औंस के नीचे चला गया है। इसी तरह कच्चे तेल का भाव इस हफ्ते के हाई से 10 डॉलर से ज्यादा फिसल गया है। अब कमोडिटी निवेशकों का फोकस सप्लाई से जुड़ी दिक्कतों से हटकर डिमांड से जुड़ी चिंता पर चला गया है। इसी तरह इंडस्ट्रियल मेटल में भी भारी गिरावट देखने को मिली है। इसमें सबसे ज्यादा गिरावट जिंक में आई है। एनर्जी स्थिति में सुधार और चाइना में कोविड के नए खतरे का असर इंडस्ट्रियल मेटल पर देखने को मिला है।

गौरतलब है कि अमेरिकी डॉलर इस समय अपने नए हाई पर जा रहा है। इसकी वजह ये है कि ग्लोबल इकोनॉमी में बढ़ती अनिश्चतता के चलते निवेशक ज्यादा जोखिम वाले एसेट में निवेश करने से बच रहे हैं। इसके चलते डॉलर की खरीद बढ़ रही है। इसके अलावा यूएस फेड की ओर से मौद्रिक नीति में कड़ाई आने के संकेत और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के चलते भी डॉलर को मजबूती मिल रही है।

हाल के दिनों में यूएस फेड की तरफ से आए बयानों से संकेत मिलता है कि जब तक महंगाई, फेड की टॉलरेंस लिमिट में नहीं आ जाती है। तब तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रहेगी। गौरतलब है कि ताजे आकंड़ों से पता चलता है कि महंगाई अभी भी ऊंचे स्तरों पर बनी हुई है। वहीं इकोनॉमी पर दबाव बढ़ता दिख रहा है।

दुनिया भर से आ रहे उत्पादन आंकड़ो से भी डिमांड में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं। चीन, इंग्लैंड और यूरो जोन के PMI 50 के नीचे चले गए हैं। जो इस बात का संकेत है कि मेन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर दबाव बढ़ रहा है। इन सभी वजहों से कमोडिटी मार्केट में हमें लगातार दबाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में हमारा मानना है कि जब तक अमेरिकी डॉलर की तुलना में दूसरी करेंसियां मजबूत नहीं होती हैं और चीन की कोविड स्थिति में सुधार नहीं होता है। तब तक कमोडिटी मार्केट में दबाव बना रहेगा।

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MoneyControl News

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First Published: Sep 03, 2022 2:58 PM

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