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इनफ्लेशन के दबाव से लॉस में चल रहा गोल्ड, इसे होल्ड करें या बेच दें?

हाई इनफ्लेशन (High Inflation), बढ़ते इंटरेस्ट रेट (Interest rates hike) और स्टॉक मार्केट (Stock Markets) में गिरावट ने इस साल इनवेस्टर्स को निराश किया है

अपडेटेड Sep 02, 2022 पर 11:51 AM
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8 मार्च को सोने का प्राइस 2,050 डॉलर प्रति औंस था। इस लेवल से यह काफी नीचे आ चुका है।

इनवेस्टर्स के लिए साल 2022 अब तक अच्छा नहीं रहा है। हाई इनफ्लेशन (High Inflation), बढ़ते इंटरेस्ट रेट (Interest rates hike) और स्टॉक मार्केट (Stock Markets) में गिरावट ने उन्हें निराश किया है। ऐसे मुश्किल समय में सोना (Gold) हमेशा सुरक्षित निवेश का विकल्प माना जाता रहा है। लेकिन, इस बार दूसरे एसेट्स की तरह गोल्ड की कीमतों में भी गिरावट का रुख है। इससे इनवेस्टर्स मायूस हैं। सवाल है कि क्या इनवेस्टर्स को सोने में निवेश बनाए रखना चाहिए या इसे बेच देना चाहिए?

बीते एक-दो सालों में सोना दो बार निवेश का सुरक्षित विकल्प साबित हुआ है। साल 2020 में मार्च से अगस्त के दौरान इसका प्राइस 1,471 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर 2,063 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया था। तब कोरोना की महामारी की वजह से दुनियाभर में लॉकडाउन लगा था। दूसरी बार इस साल फरवरी-मार्च के दौरान सोने का प्राइस 1,797 डॉलर प्रति औंस से 2,050 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। इसकी वजह यूक्रेन पर रूस का हमला था।

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सोने की कीमतों में पहले भी उतार-चढ़ाव देखा गया है। समय-समय पर यह इनवेस्टर्स की परीक्षा लेता रहता है। उदाहरण के लिए इसका भाव 1980 में 711 डॉलर प्रति औंस था। उसके बाद इसमें गिरावट आई थी। दोबारा 2006 में यह अपने हाई लेवल पर पहुंच गया था। इस उतार-चढ़ाव के चलते सोने की कीमतों के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल काम है।

आम तौर पर सोने की कीमतों पर खराब खबरों का असर तुरंत देखने को मिलता है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जब दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने यह साफ कर दिया कि इनफ्लेशन कुछ समय तक हाई बना रहेगा, तब सोने की कीमतों में उछाल आना चाहिए था। लेकिन, सोने की कीमतों (डॉलर में) में गिरावट देखने को मिली।

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8 मार्च को सोने का प्राइस 2,050 डॉलर प्रति औंस था। अब इसका प्राइस 1,697 डॉलर प्रति औंस है।  डॉलर में इस दौरान इसकी कीमतों में 14 फीसदी से ज्यादा गिरावट आ चुकी है। इसकी वजह अमेरिका में बढ़ता इंटरेस्ट रेट है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने इनफ्लेशन को काबू में करने के लिए इंटरेस्ट रेट बढ़ा रहा है।

इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर अमेरिका में पैसा वापस आना शुरू हो गया, जिससे डॉलर में मजबूती आई। मजबूत डॉलर सोने के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इंटरेस्ट रेट बढ़ने से सोने में निवेश बनाए रखने की लागत बढ़ गई, क्योंकि सोने में निवेश पर किसी तरह का इंटरेस्ट नहीं मिलता है। इस वजह से इसकी कीमतों में गिरावट आई।

हालांकि, रुपया में सोने की कीमतों में इस दौरान (इस साल मार्च के बाद से) सिर्फ 3.4 फीसदी गिरावट आई है। इसकी वजह डॉलर के मुकाबले रुपया में आई गिरावट है। इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 76.91 से 79.92 पर आ गया है। यह करीब 4 फीसदी की गिरावट है। इसके अलावा इंडिया में सरकार ने सोने पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई है। उसने इस साल जुलाई में इसे बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया। इससे सोने की कीमतों में उछाल आया।

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सोने और शेयर बाजार में उलट संबंध है। कुछ अपवाद को छोड़ दें, जब दोनों एसेट की कीमतें नीचे गई है तो ज्यादातर बार सोने और शेयरों में विपरीत संबंध दिखा है।

उदाहरण के लिए 2017 में निफ्टी 50 और एसएंडपी 500 ने रुपया में क्रमश: 29 फीसदी और 22 फीसदी रिटर्न दिए थे। इसके मुकाबले गोल्ड का रिटर्न सिर्फ 6 फीसदी था। 2018 में एसएंडपी 500 करीब 4 फीसदी गिरा था और निफ्टी 3 फीसदी चढ़ा था। लेकिन, सोने ने 8 फीसदी रिटर्न दिया था।

इस साल भी 31 जुलाई तक निफ्टी 50 में 9 फीसदी और एसएंडपी 500 8 फीसदी गिर चुके हैं। लेकिन सोना 1 फीसदी चढ़ा है। शॉर्ट टर्म के बॉन्ड्स में भी इनवेस्टर्स को लॉस उठाना पड़ा है, क्योंकि आरबीआई इंटरेस्ट रेट बढ़ा रहा है।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

इनवेस्टर्स को शोरगुल पर ध्यान दिए बगैर अपने फाइनेंशियल गोल पर फोकस करना चाहिए। यह बताना एक्सपर्ट्स के लिए मुश्किल है कि ग्लोबल इकोनॉमी को कोविड-19 के खराब असर से उबरने में कितना समय लगेगा। अगर इनफ्लेशन को काबू में करने के लिए इंटरेस्ट रेट और बढ़ाया जाता है तो इसका असर डिमांड पर पड़ेगा। इससे कंपनियों के मुनाफे और शेयरों की कीमतों में गिरावट आएगी।

आनंद राठी वेल्त के डिप्टी सीईओ फीरोज अजीज ने कहा कि इनवेस्टर्स को इनफ्लेशन रेट से ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए शेयर, म्यूचुअल फंड्स, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स और मीडियम टर्म सिक्योरिटीज में पैसे लगाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि गोल्ड इनवेस्टर्स के पोर्टफोलियो का अभिन्न हिस्सा है। यह करेंसी में आई कमजोरी और इनफ्लेशन की वजह से एसेट की वैल्यू में आई कमी से सुरक्षा देता है। सॉवरेन गोल्ड में निवेश से सोने की कीमतों में होने वाली वृद्धि का तो फायदा मिलता ही है, साथ ही सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट रेट भी मिलता है। इसलिए यह गोल्ड में पैसे लगाने का सबसे अच्छा जरिया है।

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