Commodity Market:इंटरनेशनल मार्केट में दालों की कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिल रही है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया में दालों के दाम गिरा। रूस, अफ्रीका में भी दालों के दाम गिरा। दालों की कीमतों में 5-20% की गिरावट आई। पीली मटर की कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली। मटर, मसूर की अच्छी कटाई से दाम गिरे।
भारत में भी दलहन की कटाई शुरू हुई। उड़द, तुअर, मसूर की कटाई जारी है। कनाडा में मसूर की बुआई 9% बढ़ी थी।
कनाडा में पीली मटर दाल का उत्पादन 3.2 मिलियन टन, हरी मटर 5.50 लाख टन, चना 3.40 लाख टन, मसूर 2.75 मिलियन टन दालों का उत्पादन हुआ। वहीं ऑस्ट्रेलिया में चना दालों का उत्पादन 2.1 मिलियन टन और मसूर दाल का उत्पादन 1.7 मिलियन टन रहा।
त्योहारों से पहले कीमतों में आई भारी गिरावट को बाजार कैसे देखते है? क्या इस गिरावट में दालों का इंपोर्ट बढ़ने की उम्मीद है? भारतीय बाजारों पर इसका क्या असर? क्या कीमतों में गिरावट आएगी इन्ही सभी सवालों का जवाब देते हुए IPGA चेयरमैन बिमल कोठारी ने कहा कि सभी देशों में दालों का उत्पादन ज्यादा रहने की उम्मीद है। उत्पादन ज्यादा होने से देश में दालों की कीमतों में गिरावट आई है। इंटरनेशनल मार्केट में कई दालों के दाम आधे हो चुके हैं।
ग्लोबल मार्केट भारत की तरफ देख रहा है। भारत में 4-4.5 मिलियन टन इंपोर्ट होने की उम्मीद है। आज भी हमें पुरानी दाले मिल रही है। भारत में पर्याप्त मात्रा में दिख रही है क्योंकि दालों की बुआई पिछले साल से ज्यादा है। भाव में गिरावट के चलते इंपोर्ट में गिरावट आई है। भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा इंपोर्टर है। अगले 7 महीनों में 2.5-3 मिलियन टन ज्यादा इंपोर्ट संभव है।
उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि नवंबर से दालों के भाव 10-15% और कम हो सकते हैं। खासकर चने , तुअर, मसूर के दाल में गिरावट आ सकती है। इस साल भी दालों के भाव MSP से कम बने रहेंगे।