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इस साल दाल की कीमतों में नहीं आएगी तेजी, अच्छी पैदावार से अरहर के भाव काबू में

उड़द और मूंग की कीमतें भी कम बनी हैं। जबकि मूंग की समर क्रॉप अच्छी रही है। इसलिए कुल मिलाकर इस साल दालों की उपलब्धता उत्पादकता और आयात दोनों कारणों से अच्छी है।

Pratima Sharmaअपडेटेड Jul 23, 2025 पर 7:59 AM
इस साल दाल की कीमतों में नहीं आएगी तेजी, अच्छी पैदावार से अरहर के भाव काबू में
भारत में अरहर की फसल दिसंबर-जनवरी में कट चुकी है फिर भी भाव नहीं बढ़े हैं

पिछले कुछ साल से एशिया-पैसिफिक में दालों की मांग लगातार बढ़ रही है। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी भारत की है। भारत इतना बड़ा बाजार है कि यहां मांग भी ज्यादा है और दालों का प्रोडक्शन भी। दालों की बढ़ती कीमतों पर इंडिया पल्स एंड ग्रीन मर्चेंट एसोसिएशन के चेयरमैन विमल कोठारी का कहना है, "पिछले साल भारत में दालों का उत्पादन अच्छा रहा है। अच्छी पैदावार होने के कारण सरकार ने आयात की पूरी छूट दी थी। इससे देश में भी दालों की कमी नहीं हुई। फिलहाल अधिकांश दालें MSP से नीचे बिक रही हैं। फेस्टिव सीजन से पहले चने की कीमतों में 4 रुपए प्रति किलो का इजाफा हुआ है। लेकिन फिलहाल सप्लाई को लेकर चिंता नहीं है।

अगले महीने कनाडा और रूस में पीली मटर की कटाई होगी। यहां पैदावार काफी अच्छी हुई है। रूस में लगभग 50 लाख टन का उत्पादन होगा। ऑस्ट्रेलिया में अक्टूबर में चने की फसल कटाई होगी, जो लगभग 25 लाख टन रहने का अनुमान है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में दाल की फसल अच्छी है। अफ्रीका में भी तुअर की फसल अगले महीने कटाई के लिए तैयार है। और वहां भी उत्पादन हाइएस्ट लेवल पर है।

भारत में अरहर की फसल दिसंबर-जनवरी में कट चुकी है। इतने महीने गुजरने के बाद भी अभी तक बाजार में अरहल दाल कीमतें MSP से नीचे बनी हुई हैं। उड़द और मूंग की कीमतें भी कम बनी हैं। जबकि मूंग की समर क्रॉप अच्छी रही है। इसलिए कुल मिलाकर इस साल दालों की उपलब्धता उत्पादकता और आयात दोनों कारणों से अच्छी है।

विमल कोठारी का मानना है कि दालों की कीमतें अभी निचले स्तर पर हैं और जल्द ही इनका बॉटम बना है।मतलब और गिरावट का चांस कम है। सितंबर-अक्टूबर से जब विदेशों से नई फसल आएगी, तो सप्लाई बढ़ेगी लेकिन कीमतों में तेज बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। केवल चने की कीमतों में अस्थायी तौर पर इजाफा हो सकती है। बाकी दालों की कीमतें अपने पुराने रेट पर ही बरकरार रह सकती हैं।

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