Edible Oil price: सभी फूड आटिकल्स में जहां महंगाई कम होता दिखा है वहीं खाने के तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। फूड सेक्रेटरी ने भी कहां पिछले 1 सालों में खाने के तेल में महंगाई 20-30 फीसदी बढ़ती नजर आई है। ऐसे में क्या बढ़ती कीमतें चिंता का विषय बन गई है? इसी पर सीएनबीसी-आवाज से चर्चा करते हुए जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स के MD प्रदीप चौधरी ने बताया कि 1 साल में खाने के तेल के दाम बढ़े हैं। उसका कारण है विदेशी बाजारों में दाम बढ़ना, सरकार ने पहले ड्यूटी बढ़ाई फिर घटा दी है यहीं कारण है कि दाम बढ़े हैं। लेकिन मेरा मानना है कि कीमतों को 1 साल से नहीं देखना चाहिए। बाकी खाने-पीने की चीजों के मुकाबले दाम कम बढ़े है।
आगे क्या बढ़ेंगे दाम? इस सवाल का जवाब देते हुए प्रदीप चौधरी ने कहा कि आगे खाने के तेल के दाम बढ़ना तय है। बायोफ्यूल डायवर्जन के कारण दाम बढ़ेंगे। डायवर्जन के मुकाबले उत्पादन कम है। अमेरिका की नीतियों का भी कीमतों पर असर देखने को मिल रहा है। खाने के तेल के दाम कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन के करीब है। तिलहन किसानों को ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा है।
प्रदीप चौधरी ने बताया कि देश में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। उत्पादन नहीं बढ़ा तो इंपोर्ट बढ़ना तय है। भारत में लोगों की आय बढ़ रही है। आय बढ़ने से खाने-पीने के तरीकों में बदलाव आया है। भारत में प्रति व्यक्ति खपत आज भी ग्लोबल औसत से कम है। 50-60% आबादी की तेल की खपत कम है। देश के घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दे। तिलहन किसानों को सही दाम मिलना जरूरी है। खेती में नए रिफॉर्म लाने की जरूरत है।
कहा जाता है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है । अब इस कहावत को सिद्ध करना का वक्त आ गया है। 60 के दशक में देश में हरित क्रांति आई थी। सरकार सभी स्टेक होल्डर्स के साथ मिलकर काम करें। देश में तिलहन का उत्पादन बढ़ाना ही होगा।
देश की एक तिहाई आबादी किसानों की है। किसानों की आय बढ़ेगी तो देश को फायदा होगा। सालाना खपत 1 मिलियन टन बढ़ने वाली है। हालात नहीं बदले तो मांग इंपोर्ट से ही पूरी होगी। इंपोर्ट के लिए भी हो सकता है कि दाम ज्यादा देने पड़ें।
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