आरबीएल बैंक के शेयरों (RBL Bank shares) में शुक्रवार को 15 प्रतिशत की गिरावट आई। बैंक के शेयरों में इस गिरावट के पीछे सितंबर तिमाही के कमजोर नतीजे (RBL Bank Results) प्रमुख कारण रहा। RBL Bank के नेट प्रॉफिट में सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 79 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई और यह 31 करोड़ रुपये रहा।
हालांकि बाद में कारोबार के दौरान इस शेयर ने अपने कुछ नुकसान को कम किया। RBL Bank का शेयर दोपहर 1 बजे के करीब एनएसई पर 8.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 183.45 रुपये पर कारोबार कर रहा था।
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नेट इंटरेस्ट इनकम में गिरावट, लेकिन दूसरी आय बढ़ी
सितंबर तिमाही में RBL Bank के नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) में भी गिरावट दर्ज की गई है, जो बैंक के उत्पादों की मांग को दर्शाती है। NII पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के मुकाबले 1.8 प्रतिशत गिरकर 915.5 करोड़ रुपये रहा। नेट इंटरेस्ट इनकम, बैंक द्वारा उधारकर्ताओं से वसूले गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीच का अंतर है।
हालांकि, बैंक की दूसरे स्रोतों से होने वाली आय (Other Income) एक साल पहले की तुलना में 42 प्रतिशत बढ़कर 593 करोड़ रुपये रही। आरबीएल की एसेट क्वॉलिटी पर भी असर पड़ा है। दूसरी तिमाही के अंत में बैंक का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गया, जो पिछली तिमाही की तुलना में 0.41 प्रतिशत और पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 2.06 प्रतिशत अधिक है।
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बैंक का NPA भी बढ़ा
RBL Bank का नेट- NPA भी तिमाही आधार पर 0.13 प्रतिशत और सालाना आधार पर 0.76 प्रतिशत बढ़कर 2.14 प्रतिशत हो गया। नेट-NPA बैंक की तरफ से विभिन्न प्रोविजिन किए जाने के बाद बचने वाले NPA का सटीक वैल्यू बताते हैं।
इसके पास 1,352 करोड़ रुपये के रिस्ट्रक्चर लोन थे, जिनमें से 645 करोड़ रुपये के लोन्स को दूसरी तिमाही में रिस्ट्रक्चर किया गया था। साथ ही 136 करोड़ रुपये के रिस्ट्रक्चर किए लोन अब NPA में बदल गए हैं। लोन रिस्ट्रक्चर का मतलब है कि महामारी जैसी अप्रत्याशित घटनाओं से पैदा हुए वित्तीय संकट चलते जब उधारकर्ता लोन का भुगतान करने में दिक्कतों का सामना कर रहा हो, तब उस मामले में लोन के नियमों और शर्तों में नए सिरे से बदलाव किया जाता है। इसे ही लोन रिस्ट्रक्चर कहते हैं।
बैंक ने प्रोविजनिंग और आकस्मिक जरुरतों के लिए 651.49 करोड़ रुपये का फंड अलग रखा है, जो पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक है। हालांकि जून तिमाही की तुलना में यह 53 प्रतिशत कम है। मंदी या धोखाधड़ी जैसी नकारात्मक घटनाएं आकस्मिक हो सकती है। बैंकों को इस तरह के नुकसान से सुरक्षा के लिए कुछ फंड अलग रखने की जरूरत है।
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ब्रोकरेज की क्या है राय?
यस सिक्योरिटीज (Yes Securities ) ने आरबीएल बैंक को "बाय" दी है। हालांकि स्टॉक का टारगेट प्राइस संसोधित करते 237 रुपये कर दिया है। वहीं ब्रोकरेज फर्म CLSA ने स्टॉक की रेटिंग "बाय" से "आउटपरफॉर्म" कर दी है। साथ ही स्टॉक के लिए टारगेट प्राइस को 230 रुपये से बढ़ाकर 235 रुपये कर दिया है। CLSA ने कहा कि बैंक को अभी सामान्य स्तर पर लौटने के लिए लंबा सफर करना है क्योंकि इसका स्लिपेज अभी भी अधिक बना हुआ है।
जेपी मॉर्गन ने आरबीएल के लिए 200 रुपये का टारगेट प्राइस दिया और स्टॉक को "न्यूट्रल" रेटिंग दी है। ब्रोकरेज का मानना है कि एसेट क्वालिटी और ग्रोथ पर कमजोर छाप के चलते स्टॉक को संघर्ष करना पड़ सकता है।
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