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Vodafone Idea में तुरंत हिस्सेदारी नहीं बेचेगी भारत सरकार, सही मौके का करेगी इंतजार

भारत सरकार अगले कुछ महीनों के भीतर नए दूरसंचार कानून (New Telecom Law) से जुड़े रूल्स एंड रेगुलेशन के पहले सेट को जारी कर सकती है। टेलीकॉम सेक्रेटरी नीरज मित्तल ने ये जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार नकदी संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) में अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए सही अवसर देखेगी

अपडेटेड Mar 01, 2024 पर 10:40 AM
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भारत सरकार 31 प्रतिशत हिस्सेदारी के, वोडाफोन आइडिया में सबसे बड़ी शेयरधारक है

भारत सरकार अगले कुछ महीनों के भीतर नए दूरसंचार कानून (New Telecom Law) से जुड़े रूल्स एंड रेगुलेशन के पहले सेट को जारी कर सकती है। टेलीकॉम सेक्रेटरी नीरज मित्तल ने ये जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार नकदी संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) में अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए सही मौका देखेगी। हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई तय समयसीमा नहीं बताई। नया दूरसंचार कानून पिछले साल दिसंबर में लागू किया गया था और इसने तीन पुराने कानूनों की जगह ले ली थी।

मोबाइल वर्ल्ड्स कांग्रेस 2024 के मौके पर बात करते हुए, मित्तल ने कहा कि टेलीकॉम डिपॉर्टमेंट जून तिमाही की शुरुआत में अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी आयोजित करने का लक्ष्य बना रहा है। मित्तल ने कहा, "अगर कोई मौका है, इसकी जरूरत है, तो हमें हर चीज की जांच करनी होगी। साथ ही यह भी देखना होगा कि अगले कुछ महीने इनके ऑपरेशंस को लेकर कैसे दिखते हैं।"

भारत सरकार के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि वे नकदी संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया में सही मौके पर अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे, लेकिन तुरंत नहीं। बता दें कि भारत सरकार 31 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी, वोडाफोन आइडिया में सबसे बड़ी शेयरधारक है।


इस बीच वोडाफोन आइडिया के बोर्ड ने 27 फरवरी को अपने प्रमोटरों से इक्विटी और डेट के जरिए 45,000 करोड़ रुपये तक का फंड जुटाने की योजना को मंजूरी दे दी। टेलीकॉम डिपार्टमेंट 3G सहित स्पेक्ट्रम सरेंडर की सुविधा के तरीके तलाश रहा है, जिसे टेलीकॉम कंपनी चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर रहे हैं।

मित्तल ने कहा, "2030 तक, हमें संभवतः 1-2 गीगाहर्ट्ज अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की जरूरत होगी। यह एक लगातार जारी रहने वाली प्रक्रिया है, और अगर इसके दोबारा फ्रेम करने या सरेंडर करने का मौका है, तो हम इस पर विचार करेंगे।"

एक्सपर्ट्स ने कहा कि 3G स्पेक्ट्रम सरेंडर करने से टेलीकॉम कंपनियों की देनदारियां कम हो सकती हैं और 6G सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम खाली हो सकता है। भारतीय टेलीकॉम कंपनियों ने ऊंची कीमतों और ऊंची ब्याज दरों पर 3G स्पेक्ट्रम खरीदा था।

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