बैंकिंग रिफॉर्म्स के जनक कहे जाने वाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर एम नरसिम्हम (M Narasimham) की आज कोरोना वायरस महामारी से मौत हो गई। कोविड से संबंधिक बीमारी के कारण आज हैदराबाद के अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। RBI ने अपने बयान में कहा कि एम नरसिम्हम 94 साल के थे।
एम नरसिम्हम रिजर्व बैंक के पहले और इकलौते गवर्नर थे जिनकी नियुक्ति RBI कैडर से हुई थी। उन्होंने रिसर्च ऑफिसर के तैर पर RBI ज्वाइन किया था। हालांकि, उनका कार्यकाल RBI गवर्नर के तौर पर केवल 7 महीने का था। वे मई 1977 से नवंबर 1977 तक RBI के गवर्नर रहे। वर्ष 1977 में जब आपातकाल खत्म हुआ तो जनता पार्टी की सरकार ने उन्हें RBI का गवर्नर बनाया।
एम नरसिम्हम ने ऐसी 2 समितियों की अध्यक्षता की जिसके सुझावों पर अमल होने के बाद भारतीय बैंकिंग सिस्टम और फाइनेंशियल सिस्टम में रिफॉर्म हुआ। उन्होंने कमिटी ऑन फाइनेंशियल सिस्टम 1991 और कमिटी और बैंकिंग सेक्टर रिफॉर्म 1998 की अध्यक्षता की जिसके कारण देश की वित्तीय प्रणाली में सुधार आया।
कमिटी ऑन फाइनेंशियल सिस्टम 1991 में इंटरेस्ट रेट्स के डीरेगुलेशन, SLR में कटौती और ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन फंड बनाने जैसे सुझाव दिए गए थे। वहीं अपनी अध्यक्षता में कमिटी और बैंकिंग सेक्टर रिफॉर्म 1998 में उन्होंने NPA से डील करने के लिए मजबूत ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन फ्रेमवर्क बनाने की सुझाव दिया था। इसी सुजाव पर RBI ने 90 दिन पेमेंट नहीं आने पर लोन को Bad loan करार देने की शुरुआत की।
M Narasimham इकोनॉमिक अफेयर्स के एडिशनल सेक्रेटरी रहे हैं। वे वर्ष 1982 से 1983 तक फाइनेंस सेक्रेटरी भी रहे। RBI के गवर्नर का पद छोड़ने के बाद उन्होंने बतौर एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) ज्वाइन कर लिया और वर्ल्ड बैंक (World Bank) के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर भी रहे।
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