टाटा समूह (Tata Group) के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने स्टार्टअप Goodfellows में निवेश करने का ऐलान किया है। यह स्टार्टअप बूढ़े लोगों की अकेलेपन की समस्या दूर करता है। यह नहीं पता चल पाया है कि टाटा ने इस स्टार्टअप में कितना निवेश किया है। इस स्टार्टअप की शुरुआत शांतनु नायडू ने की है। वह अभी सिर्फ 25 साल के हैं।
नायडू ने Cornell University से पढ़ाई की है। वह टाटा के ऑफिस में जनरल मैनेजर हैं। वह 2018 से उनकी मदद कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने पालतू जानवरों के लिए एक वेंचर शुरू किया था। टाटा की तरह उन्हें भी कुत्ते पसंद हैं।
Goodfellows के लॉन्च के मौके पर रतन टाटा ने कहा, "जब तक आप खुद अकेले समय बिताने को मजबूर नहीं होते आपको इस बात का अहसास नहीं होता कि अकेलापन कितना बुरा होता है।" उन्होंने बूढ़े लोगों की अकेलेपन की समस्या दूर करने के लिए स्टार्टअप शुरू करने पर नायडू की तारीफ की।
टाटा ने यह भी कहा कि जब तक लोग खुद बूढ़े नहीं हो जाते वे बूढ़े लोगों की परवाह नहीं करते। उन्होंने कहा कि ध्यान रखने वाला कोई साथी होना एक चुनौती है। नायडू ने टाटा को बॉस, मार्गदर्शक और एक दोस्त बताया। नायडू ने कहा कि ऐसे 5 करोड़ बूढ़े लोग हैं, जो अकेले रहने को मजबूर हैं। उनके साथ समय बिताने वाला कोई नहीं है।
गुडफेलोज ऐसे युवाओं को हायर करता है, जिनके पास ऐसी संवेदना और इमोशनल इंटेलिजेंस होता है, जिससे वे बूढ़े लोगों की मदद कर सकें। ये युवा बूढ़े लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में उनकी मदद करते हैं। वे सामान्य कामकाज में भी बुजुर्गों की मदद करते हैं।
नायडू ने कहा कि वह गुडफेलोज की सेवाएं पूरे देश में उपलब्ध कराना चाहते हैं। लेकिन, धीरे-धीरे सेवाओं का विस्तार करना चाहते हैं ताकि इस स्टार्टअप की सेवाओं की गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता न हो।
इस स्टार्टअप के लिए काम करने वाले युवाओं के काम में बूढ़े लोगों के साथ कैरम खेलना, उनके लिए अखबार पढ़ना या आराम करने में उनकी मदद करना शामिल है। टाटा ने कहा कि उन्हें इस स्टार्टअप की सेवाओं के विस्तार से बहुत खुशी होगी।