Tata Sons and Tata Trusts chairman : टाटा ट्रस्ट और टाटा संस के चेयरमैन जल्द ही अलग-अलग हो सकते हैं। टाटा संस के शेयरहोल्डर्स जल्द ही इस मुद्दे पर विचार कर सकते हैं। इसके लिए टाटा संस के शेयरहोल्डर्स के नए आर्टीकिल्स ऑफ एसोसिएशन (AOA) पर वोटिंग करने का अनुमान है। बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है।
खबर के मुताबिक, इस पर वोटिंग के लिए 30 अगस्त को टाटा संस की एक एनुअल जनरल मीटिंग होगी। 103 अरब डॉलर के टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्स की मेजॉरिटी होल्डिंग है। वर्तमान में दोनों ट्रस्ट की अगुआई टाटा ग्रुप (Tata Group) के चेयरमैन इमेरिटस रतन टाटा (Ratan Tata) कर रहे हैं। दोनों ट्रस्ट की टाटा संस में कुल 52 फीसदी हिस्सेदारी है।
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रतन टाटा 1995 से हैं दोनों ट्रस्ट के चेयरमैन
रतन टाटा 1995 से ट्रस्ट्स के चेयरमैन का पद संभाल रहे हैं। यह उद्योगपति जेआरडी टाटा के बाद दोनों टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन का पद संभालने वाला आखिरी शख्स था।
रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद टाटा संस के मौजूदा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) के इन दोनों संगठनों में से किसी एक के चेयरमैन बनने की संभावना है।
ईटी नॉउ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों ट्रस्ट्स के चेयरमैन पद को स्प्लिट यानी अलग-अलग करने के प्रस्ताव के पीछे अधिकारों के केंद्रीयकरण को रोककर ग्रुप के भीतर कॉर्पोरेट गवर्नेंस बढ़ाना है।
गौरतलब है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने 15 फरवरी को लिस्टेड कंपनियों के लिए अलग-अलग चेयरपर्सन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) या सीईओ पदों की आवश्यकता को बदलकर अनिवार्य से स्वैच्छिक कर दिया था।