Suzlon Energy Share Price: इंडिया की टोटल विंड एनर्जी (Wind Energy) कपैसिटी करीब 40 गीगावाट्स (GW) है। इसके एक-तिहाई हिस्से का श्रेय सुजलॉन एनर्जी (Suzlon Energy) को जाता है। जनवरी 2008 में सुजलॉन एनर्जी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 68,067 करोड़ रुपये था। अभी यह 8,536 करोड़ रुपये है। ये आंकड़े तुलसी तांती (Tulsi Tanti) की उपलब्धियों को बयां करते हैं। तांती सुजलॉन एनर्जी के फाउंडर और चेयरमैन थे।
तांती वह व्यक्ति थे, जिन्होंने इस विंड एनर्जी कंपनी को खड़ी की थी। उन्होंने इंडिया में विंड एनर्जी इंडस्ट्री को तब मजबूती दी थी, जब यह शुरुआती अवस्था में था। सुजलॉन के कर्ज के जाल में फंसने, कैश फ्लो घटने और डिफॉल्ट की वजह से उन्होंने अपनी व्यक्तिगत संपत्ति को स्वाहा होते देखा था।
64 की उम्र में 1 अक्टूबर को तांती का निधन हो गया। उस दिन वह अहमदाबाद में थे, जिसे शहर को वह अपने वफादार रिटेल शेयरधारकों का घर कहते थे। उन्होंने शेयरहोल्डर्स, इनवेस्टर्स और मीडिया से मुलाकात में कंपनी के 1,200 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू के बारे में बताया था। उसके बाद वह पुणे चले गए थे, जहां उन्हें हार्ट अटैक आया। उन्होंने पुणे में ही सुजलॉन की शुरुआत की थी।
यूनाइटेड नेशंस इनवायरनमेंट प्रोग्राम (UNEP) ने 2009 में तांती को उस साल 'चैंपियन ऑफ अर्थ' घोषित किया था। उसके बाद उन्होंने कहा था, "दुनिया ने रिन्यूएबल एनर्जी के संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया है, जो इनसान की एनर्जी की पांच गुनी जरूरत पूरी कर सकता है। हमें ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार करने और इस्तेमाल करने की जरूरत है जो हमें इन संसाधनों का फायदा उठाने में मदद करेगा और मनुष्य के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा।"
'मेक इन इंडिया' की शुरुआत से काफी पहले ही तांती ने विंड टर्बाइन बनाने के लिए सुजलॉन एनर्जी की शुरुआत की थी। वह इसे एक ग्लोबल एनर्जी कंपनी बनाना चाहते थे। 1995 में सुजलॉन की स्थापना के बाद से तांती और इस कंपनी की कहानी कई तरह से इंडिया के विंड एनर्जी मार्केट के सफर को बयां करती है।
Suzlon Energy के सीईओ अश्विनी कुमार ने दुनिया भर में कंपनी के 5,500 से ज्यादा एंप्लॉयीज को भेजे ईमेल में कहा, "यह अब तक मेरे द्वारा भेजे जानी वाली सबसे दुखद जानकारी है..." उन्होंने यह भी लिखा कि दुनिया तुलसीभाई को विंड एनर्जी के पायोनियर के रूप में याद करेगी। हमारे सीएमडी ने हमें गिर कर खड़े होना और हिम्मत के साथ मुश्किल समय का मुकाबला करना सिखाया है।
तांती ने 1987 में अपने भाइयों के साथ मिलकर सूरत में टेक्सटाइल्स की कंपनी शुरू की थी। इसका नाम Sulzer Synthetics था। उन्होंने अपनी कंपनी की एनर्जी की जरूरतें पूरी करने के लिए विंड एनर्जी यूनिट स्थापित की थी। वह जल्द समझ गए कि इस यूनिट के लिए कारोबारी संभावनाएं उनके टेक्सटाइल्स बिजनेस के मुकाबले ज्यादा हैं। फिर उन्होंने 1995 में विंड एनर्जी पर फोकस करने के लिए एक ग्रीन एनर्जी कंपनी शुरू की। सरकार का 2005 में विंड एनर्जी सेक्टर के लिए टैक्स-छूट का ऐलान करना इस इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा मोड़ था।
सुजलॉन आईपीओ पेश करने वाली इंडिया की पहली रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी बनी। कंपनी का 1,500 करोड़ रुपये का इश्यू 15 गुना सब्सक्राइब्ड हुआ। इससे एनर्जी के वैक्लपिक स्रोत को लेकर इनवेस्टर्स के उत्साह के बारे में पता चला। सुजलॉन को फ्यूचर की कंपनी के रूप में देखा गया। लिस्टिंग के बाद भी काफी समय तक इसके शेयरों में इनवेस्टर्स की दिलचस्प बनी रही थी।