एक तरह जहां भारत को ग्लोबल ग्रोथ की अगली कहानी के तौर पर पेश किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इस ग्रोथ में अहम भूमिका निभाने वाला यहां का स्टार्टअप इकोसिस्टम मुश्किल दौर से गुजर रहा है। स्टार्टअप फर्मों के लिए फंडिंग के लिहाज से पिछले 15 महीने काफी चुनौतीपूर्ण रहे हैं। साथ ही, देश के सबसे हाई-प्राफाइल स्टार्टअप संकट का असर भारत की स्टार्टअप कंपनियां पर भी देखने को मिल सकता है।
देश की प्रमुख स्टार्टअप कंपनी Byju’s बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है। कंपनी तय समयसीमा में न तो अपना फाइनेंशियल स्टेटमेंट पेश कर पाई और न ही 1.2 अरब डॉलर के लोन का भुगतान कर सकी। इस वजह से कंपनी के बोर्ड मेंबर्स और ऑडिटर ने इस्तीफा दे दिया।
इस संकट ने भारतीय उद्यमियों से जुड़ी कुछ अनोखी चुनौतियों को उजागर किया है और इससे ग्लोबल इनवेस्टर्स को झटका लग सकता है। भारत के कंज्यूमर मार्केट में भले ही 1 अरब से ज्यादा लोग हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों की खर्च करने की क्षमता सीमित है। लिहाजा, कीमतों को लेकर जबरदस्त कॉम्पिटिशन है और ऐसे में स्टार्टअप फर्मों के लिए मुनाफा हासिल करना काफी मुश्किल है। साथ ही, घरेलू वेंचर कैपिटल की भारी कमी है, लिहाजा स्टार्टअप चलाने वालों को फॉरेन इनवेस्टर्स की तलाश करनी पड़ती है।
यह वाकया कॉरपोरेट गवर्नेंस में भी कमियों की तरफ इशारा करता है। Byju’s की प्रतिस्पर्धी कंपनी UpGrad Education Pvt. के फाउंडर रोनी स्क्रूवाला का कहना है कि शुरू में स्टार्टअप को काफी फंडिंग मिली। फंडिंग कम हो जाने के बाद Byju’s जैसी कंपनियों की जांच में गड़बड़ियों का पता चल रहा है। उन्होंने कहा, 'कई स्टार्टअप कंपनियों में गवर्नेंस और डिलिजेंस काफी निचले स्तर पर हैं। जाहिर तौर पर इससे भारत में कारोबारी और इनवेस्टमेंट इकोसिस्टम की खराब स्थिति का पता चलता है।' इस मामले में पूछे जाने पर Byju’s के प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
हाल में जिन प्रमुख स्टार्टअप में गड़बड़ियां सामने आईं, उनमें फिनटेक टर्म भारतपे (BharatPe) भी शामिल है जिसने अपने को-फाउंडर और उसकी पत्नी पर कंपनी का पैसा गबन करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, ऑटो सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी GoMechanic पर अपने रेवेन्यू को बढ़ाकर पेश करने का आरोप है। इस तरह की गड़बड़ियां सामने आने के बाद सिकोइया कैटिपट ने इस साल उन स्टार्टफर्मों की ऑडिटिंग शुरू की थी, जिसमें उसने निवेश कर रखा है।
पिछले साल टेक वैल्यूएशंस में अचानक हुई गिरावट, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और इकनॉमी में सुस्ती से वेंचर कैपिटल फर्मों ने नई फंडिंग पर ब्रेक लगा दिया है और इसका सबसे ज्यादा असर भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट्स पर देखने को मिल रहा है। ऑनलाइन एजुकेशन की मांग में अचानक हुई गिरावट से Byju’s के लिए मुश्किलें और बढ़ गईं। कोरोना का दौर खत्म होने के बाद स्कूल, यूनिवर्सिटी और ऑफिस खुल गए, लिहाजा भारत में ऑनलाइन एजुकेशन पर लोगों ने खर्च कम कर दिया। कुछ पढ़ाई के सस्ते ऑनलाइन विकल्पों की तरफ चले गए।