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Vodafone Idea ने सुप्रीम कोर्ट में डाली याचिका, कहा-AGR पेनाल्टी और इंटरेस्ट इतना ज्यादा कि कंपनी ही डूब जाएगी

Vodafone Idea ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के फैसले में जो पेनाल्टी लगाई थी, उस पर लगाई गई पेनाल्टी और इंटरेस्ट का अमाउंट इतना ज्यादा है कि उसे चुकाना कंपनी के लिए मुमकिन नहीं है। इस अमाउंट को चुकाने से कंपनी का वजूद खत्म हो सकता है। यह याचिका सितंबर 2023 में देश की सबसे बड़ी अदालत में दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि कंपनी पहले से आर्थिक मुश्किल में है। कंपनी को खुद को बचाना मुश्किल साबित हो रहा है

अपडेटेड Oct 10, 2023 पर 12:25 PM
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मनीकंट्रोल ने इस याचिका को देखा है। इसमें VI ने कोर्ट से दो आधारों पर फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है।
     
     
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    Vodafone Idea (VI) ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव पिटिशन फाइल की है। कंपनी ने इसमें कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के फैसले में जो पेनाल्टी लगाई थी, उस पर लगाई गई पेनाल्टी और इंटरेस्ट का अमाउंट इतना ज्यादा है कि उसे चुकाना कंपनी के लिए मुमकिन नहीं है। इस अमाउंट को चुकाने से कंपनी का वजूद खत्म हो सकता है। यह याचिका सितंबर 2023 में देश की सबसे बड़ी अदालत में दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि कंपनी पहले से आर्थिक मुश्किल में है। कंपनी को खुद को बचाना मुश्किल साबित हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में डिमांड में किसी तरह के क्लेरिकल और अर्थमेटिकल एरर के करेक्शन पर रोक, हजारों करोड़ रुपये के चुकाए जाने वाले अमाउंट में किसी तरह की कमी के फोरक्लोजर और उसके बाद पेनाल्टी पर पेनाल्टी और इंटरेस्ट लगा देना उचित नहीं है।

    VI की दलील

    VI ने यह भी कहा है कि ये दो कंपोनेंट प्रिंसिपल अमाउंट के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। कंपनी ने याचिका में कहा है कि वह लाइसेंस फीस लगाए जाने को चैलेंज नहीं कर रही है। उसने यह याचिका इसलिए फाइल की है, क्योंकि फैसले में गंभीर न्यायिक गलतियां (Serious Jurisdictional errors) हैं। मनीकंट्रोल ने इस याचिका को देखा है। इसमें VI ने कोर्ट से दो आधारों पर फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है।


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    फैसले पर पुनर्विचार के लिए पहला आधार

    पहला, इस फैसले में कहा गया है कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) की तरफ से भेजी गई डिमांड फाइनल होगी, भले ही उसमें बकाया अमाउंट के कैलकुलेशन में किसी तरह की क्लेरिकल या अर्थमेटिकल एरर हो। इसका मतलब है कि डिमांड अमाउंट में किसी तरह का बदलाव (rectification) नहीं किया जा सकता है। इसका मतलब यह भी है कि इस तरह की गलतियां होने के बावजूद कंपनी अमाउंट चुकाने को बाध्य होगी।

    फैसले पर दोबारा विचार के लिए दूसरा आधार

    दूसरा, याचिका में कहा गया है कि जहां तक पेनाल्टी पर इंटरेस्ट का मामला है तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे इस गलत धारणा के आधार पर लगाया है कि VI ने जब कोर्ट में ग्रॉस रेवेन्यू और AGR के परिभाषा को चुनौती दी थी तब उसके पास इसके लिए सही आधार नहीं था। याचिका में कहा गया है कि पार्टीज के बीच असल विवाद था। वीआई ने अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इस मामले में अपना पक्ष रखा था। TDSAT ने इस मामले में कंपनी के पक्ष में फैसला दिया था, जो यह दिखाता है कि पेश की गई चुनौती बेइमानी नहीं थी या प्रोसेस का दुरूपयोग नहीं था।

    कंपनी का वजूद खतरे में पड़ जाएगा

    VI ने दलील दी है कि पेनाल्टी पर पेनाल्टी और इंटरेस्ट लगाना बहुत कठोर कदम है और इससे कंपनी का वजूद ही खतरे में पड़ सकता है। लाइसेंस फी के पेमेंट में देरी पर लगाया गया इंटरेस्ट रेट इतना ज्यादा है कि यह अपने आप में एक पेनाल्टी जैसा है।

    Rakesh Ranjan

    Rakesh Ranjan

    First Published: Oct 10, 2023 11:16 AM

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