Diabetes: आज के बदलती लाइफस्टाइल में डायबिटीज होना आम बात हो गई है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो आज दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है। एक बार अगर किसी को टाइप-2 डायबिटीज हो जाता है तो ये पूरी लाइफ तक पीछा नहीं छोड़ती है। इसका कोई स्थायी इलाज अब तक साइंस के पास नहीं है और इसे केवल दवाइयों और लाइफस्टाइल में बदलाव के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है। अगर आपके फैमिली में भी किसी को एक बार डायबिटीज हो जाए तो ये अगली पीढ़ी में भी आने की पूरी संभावना होती है। लेकिन आप अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव करके इससे बच सकते हैं। हाल ही में आई एक स्टडी में इसका खुलासा हुआ है।
इस रिपोर्ट को डायबेटोलॉजिस्ट और केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा को सौंपा गया है। इस रिपोर्ट का नाम 'योग और टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम' रखा गया है।
योग से कम होता है डायबिटीज
हाल ही में रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया की ओर से एक रिपोर्ट सबमिट किया गया, जिसमें बताया गया है कि नियमित योग अभ्यास करने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है। ये रिपोर्ट को RSSDI की ओर से इसके पूर्व अध्यक्ष डॉ. एसवी मधु के नेतृत्व में तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में डायबिटीज के इस रिपोर्ट में यह पाया गया कि जिन लोगों ने रोजाना योग किया, उनमें डायबिटीज के होने की संभावना 40% की कमी देखी गई है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब योग को डायबिटीज टाइप 2 की रोकथाम के एक वैज्ञानिक उपाय के रूप में दस्तावेज किया गया है।
बता दें अब तक पारंपरिक चिकित्सा और योग विशेषज्ञ यह मानते रहे हैं कि योग डायबिटीज को नियंत्रित करने और रोकने में असरदार हो सकता है। हालांकि वैज्ञानिक समुदाय ने इस पर बहुत गंभीरता नहीं दिखाई थी। लेकिन अब जब इस विषय पर एक नई रिसर्च सामने आई है, तो यह उम्मीद जगी है कि योग को डायबिटीज से बचाव के एक प्रभावी वैज्ञानिक उपाय के रूप में अपनाया जा सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अब तक ज्यादातर शोध उन लोगों पर किए गए थे जो पहले से ही डायबिटीज से पीड़ित हैं और यह देखा गया था कि योग उनकी दवाइयों या इंसुलिन की जरूरत को कैसे कम कर सकता है। लेकिन यह नई स्टडी उन लोगों पर बेस्ड है जो अभी डायबिटीज के शिकार नहीं हुए हैं, लेकिन भविष्य में उन्हें इसका खतरा हो सकता है। खासकर वे लोग जिनके परिवार में पहले से डायबिटीज का इतिहास है। इस शोध में यह भी समझने की कोशिश की गई है कि क्या योग की मदद से इस बीमारी की शुरुआत को रोका जा सकता है।
यह स्टडी अभी शुरुआती लेवल की है और इसकी पुष्टि के लिए और गहराई से जांच चल रही है। डॉ. जितेंद्र सिंह के मुताबिक, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत भी ऐसे ही रिसर्च प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिनका उद्देश्य यह समझना है कि योग जैसे पारंपरिक तरीकों का स्वास्थ्य पर कितना असर पड़ता है। यह पहल साबित करती है कि योग जैसी विधाएं वैज्ञानिक तरीके से जांच कर आधुनिक स्वास्थ्य समस्याओं में मददगार हो सकती हैं।