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Health Tips: आंतों से कैसे जुड़ा है दिमाग का कंट्रोल रूम? जानिए साइंस का चौंकाने वाला सच

Health Tips: क्या आप जानते हैं कि आपका पेट सिर्फ पाचन का ही नहीं, सोचने-समझने की ताकत से भी जुड़ा होता है? रिसर्च बताती है कि दिमाग और आंतों के बीच सीधा कनेक्शन है। यही कारण है कि जब पेट ठीक नहीं होता, तो मूड भी बिगड़ जाता है। अब साइंस इसे गहराई से समझने में जुटा है

अपडेटेड Jul 26, 2025 पर 9:15 AM
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Health Tips: जब आंतों के बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है, जिसे डिसबायोसिस कहा जाता है

अक्सर हम पेट को सिर्फ शरीर का एक खाना पचाने वाला हिस्सा समझते हैं, लेकिन हकीकत इससे कहीं ज्यादा अलग है। आपके पेट की सेहत, आपकी मानसिक स्थिति से जुड़ी होती है। साइंस अब इसे “गट-ब्रेन एक्सिस” कहता है एक ऐसा कनेक्शन जो आपके सोचने, महसूस करने और व्यवहार तक को प्रभावित करता है। आपकी आंतों में लाखों बैक्टीरिया मौजूद हैं, जो ना केवल पाचन बल्कि दिमागी संतुलन में भी अहम भूमिका निभाते हैं। बदलते मूड से लेकर चिंता और तनाव तक, सब पर इन सूक्ष्म जीवों का असर देखा गया है।

यही कारण है कि अब वैज्ञानिक आंतों को 'दूसरा दिमाग' कहने लगे हैं। तो अगली बार जब आप बेचैनी या तनाव महसूस करें, तो समझ लिजिए ये सिर्फ आपके दिमाग की नहीं, बल्कि पेट से जुड़ा हो सकता है।

आंतें में बैक्टीरिया


हमारी आंतों में अरबों सूक्ष्मजीव परजीव रहते हैं जिन्हें गट माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये बैक्टीरिया हमारी सेहत के पीछे छुपे असली खिलाड़ी हैं। ये न सिर्फ खाना पचाते हैं, बल्कि शरीर और दिमाग के बीच मैसेज भी पहुंचाते हैं। असल में, ये बैक्टीरिया न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन) बनाते हैं वही रसायन जो हमारे मूड, नींद और भूख को कंट्रोल करते हैं। क्या आप जानते हैं कि सेरोटोनिन का करीब 90% हिस्सा हमारे पेट में ही बनता है।

वेगस नर्व

दिमाग और पेट के बीच संपर्क का एक मुख्य रास्ता है वेगस नर्व। ये एक लंबी नस होती है जो सीधे पेट से दिमाग तक जाती है और दोनों के बीच लगातार संवाद करती है। इसकी मदद से आंत की स्थिति का असर सीधा दिमाग पर और दिमाग की स्थिति का असर पेट पर पड़ता है। इसी वजह से तनाव में पेट गड़बड़ करता है और पेट खराब होने पर मूड डाउन हो जाता है।

डिसबायोसिस

जब आंतों के बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है, जिसे डिसबायोसिस कहा जाता है, तो इसका असर सिर्फ पाचन पर नहीं पड़ता ये दिमाग को भी प्रभावित करता है। इससे शरीर में सूजन बढ़ सकती है, जो न्यूरोट्रांसमीटर की प्रक्रिया को डिस्टर्ब करती है। जिस कारण चिंता, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।

स्वस्थ आंत

अगर आपकी आंतें स्वस्थ हैं, तो आप न सिर्फ बीमारियों से दूर रहते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी ज्यादा मजबूत होते हैं। सही गट माइक्रोबायोम तनाव को झेलने की ताकत बढ़ाता है, याददाश्त बेहतर करता है और नींद को सुधरता है।

पेट को हल्के में मत लीजिए

आपका पेट सिर्फ खाने का डब्बा नहीं है – ये एक ‘साइलेंट कमांड सेंटर’ है, जो दिमाग के साथ मिलकर आपके पूरे जीवन को दिशा देता है। अपने गट बैक्टीरिया को स्वस्थ रखने के लिए फाइबर से भरपूर खाना खाएं, प्रोबायोटिक्स लें, नींद पूरी करें और तनाव कम करें।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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